काठमांडू।
एक समझौते के तहत दिग्गज नेता शेर बहादुर देउबा के इस्तीफे के बाद सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली दूसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने 15 फरवरी को ओली को देश का 41वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली चीन समर्थक माने जाते हैं। दिग्गज नेता शेर बहादुर देउबा जून में चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। पिछले साल मई महीने में पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
नेपाल में CPN-UML गठबंधन की सरकार है। नए संविधान के तहत दो महीने पहले चुनाव कराए गए थे। इसमें ओली की पार्टी ने कई और पार्टियों के सपोर्ट से लेफ्ट अलायंस बनाया था। चुनाव में इस अलायंस ने 275 में से 174 सीटों पर जीत हासिल की थी।
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ने संसद में बहुमत के करीब सीटें जीती हैं और इसे सरकार गठित करने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) का समर्थन भी प्राप्त है। ओली अपनी पार्टी सीपीएन-यूएमएल और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी केंद्र) से एक छोटा कैबिनेट गठित कर सकते हैं।
बता दें कि अगस्त 2016 में गठबंधन के वक्त यह तय किया गया था कि दोनों पार्टी के नेता बारी-बारी से प्रधानमंत्री बनेंगे। इसी समझौते के तहत जून में देउबा नेपाल के 40वें प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए थे। टीवी पर देश को संबोधित करते हुए देउबा ने कहा, ‘मुझ पर नए संविधान के तहत चुनाव करवाने की जिम्मेदारी थी, जो अब पूरी हो गई है इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया।
नेपाल में पिछले 11 सालों से नया संविधान लागू कराने पर बात चल रही थी। माओवादियों के विद्रोह और पार्टियों के बीच आपसी मतभेद की वजह से इस पर बात नहीं बन पाई थी। 2006 में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद नेपाल में अब तक 11 प्रधानमंत्री बदल चुके हैं। माना जाता है कि इस दौरान देश में करप्शन काफी हद तक बढ़ा है।
2015 में भयानक भूकंप आने के बाद नेपाल को फिर से खड़ा करने के लिए पार्टियों के बीच संविधान लाने पर समझौते शुरू हुए थे। नए संविधान के तहत नेपाल के पूरे पॉलिटिकल सिस्टम को बदला जाना है। संविधान में केंद्र के अलावा देश के 7 अलग प्रांतों को भी अपनी पावर्स दी जाएंगी।