पी वी सिंधु ने दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। हर कोई चांदी से भारत को चमकाने वाली इस युवती के बारे मे जानने में लग गया। इंटरनेट पर किसी ने सिंधु के मैच के बारे में जानकारी निकाली, किसी ने लाइव मैच सर्च किया, किसी ने खिलाड़ी के तौर पर उसके इतिहास को सर्च किया। हैरानी तब हुई जब फाइनल में सिंधु और मारिन के मैच के दौरान नौ लाख से ज्यादा लोगों ने सिंधु की जाति के बारे में गूगल पर सर्च किया।
गूगल पर इस ट्रेंड से उन जातिवादी लोगों की मानसिकता का पता चलता है जो हर मामले को इससे जोड़ कर देखते हैं। वैसे देश में यह कोई नया मामला नहीं है मगर इस दौर में ऐसी सोच से यह सवाल उठता है कि आखिर पढ़े लिखे लोग ही इस खांचे से बाहर नहीं आएंगे तो बाकियों को इससे बाहर लाना कैसे मुमकिन होगा। सिंधु किसी जाति की नहीं बल्कि देश की बेटी है और हमें उन पर गर्व होना चाहिए।
दरअसल, पी वी सिंधु की जाति के बारे में 14 अगस्त से सर्च किया जाना शुरू हुआ जब वह ताई जू यिंग के साथ मुकाबले में जीतीं थी। जैसे ही उन्होंने सेमीफाइनल में नोजोमी ओकोहारा से जीत दर्ज की। इस आंकड़े में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई। गूगल ट्रेंड्स के मुताबिक सर्च का आंकड़ा 10 गुना तब पार कर गया जब सिंधु फाइनल में सिल्वर पदक जीतीं।
भारत में सिंधु की जाति के बारे में सर्च करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लोगों की थी। इसकी वजह यह है कि दोनों राज्य के लोग कशमकश में थे कि सिंधु की जीत का तमगा कौन सा राज्य अपने नाम करेगा। दरअसल, पी वी सिंधु का जन्म हैदराबाद में हुआ है वहीं सिंधु की माता विजयवाड़ा से हैं।