ओपिनियन पोस्ट।
इस बात पर भरोसा हो या न हो, लेकिन अब पाकिस्तान को भी शांति चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर भारत और पाक के बीच दोबारा शांति वार्ता शुरू करने का आग्रह किया है। उन्होंने संयुक्तराष्ट्र संघ की आम सभा के इतर विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता का भी आग्रह किया है। इमरान ने यह पत्र पिछले 14 सितंबर को लिखा।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का पत्र भारत के प्रधानमंत्री के पास ऐसे वक्त पर आया है, जब एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक बीएसएफ जवान की पाकिस्तानी सैनिकों ने गला रेतकर हत्या कर दी थी।
इमरान का पत्र भारत और पाकिस्तान के बीच ठोस संबंध दोबारा शुरू करने के लिए पहला औपचारिक प्रस्ताव भी है। उन्होंने अपने पत्र में दिसंबर 2015 की द्विपक्षीय वार्ता प्रक्रिया को दोबारा शुरू कराने का आग्रह किया है। पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद यह बातचीत स्थगित कर दी गई थी।
क्या सच में बात करेंगे भारत और पाकिस्तान? यह सवाल भी उठ रहा है। अगले हफ़्ते यूएन की जनरल असेंबली की बैठक होने वाली है। सरकार के सूत्रों ने मुलाक़ात की संभावना से इनकार भी नहीं किया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के शेड्यूल पर काम हो रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि बातचीत पर अभी कोई फ़ैसला नहीं हुआ है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के विदेश मंत्री संयुक्तराष्ट्र में आपसी सहमति से तय तारीख पर बैठक करेंगे। इमरान ने लिखा है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर बातचीत करने के लिए तैयार है। दोनों देशों के आगे बढ़ने का रास्ता सकारात्मक बातचीत से खुलेगा। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए योगदान दिया था।
इमरान ने कहा है कि भारत-पाक को आतंकवाद और कश्मीर से संबंधित सभी मुद्दों के समाधान पर विचार करना चाहिए। दिसंबर 2015 में सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए इस्लामाबाद गई थीं। उस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के स्तर पर पाकिस्तान के साथ आखिरी ठोस संवाद हुआ। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने बताया कि इमरान ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। हम भारत के जवाब का इंतजार कर रहे हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातें हो सकती हैं। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि संयुक्तराष्ट्र की जनरल असेंबली के दौरान मुलाकात हो सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस महीने न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के इतर दक्षेस देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद की अनौपचारिक बैठक में भाग ले सकती हैं।