लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर कांग्रेस को जिन राज्यों से सर्वाधिक उम्मीदें थीं, उनमें कभी उसके गढ़ रहे मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ भी शामिल हैं. लेकिन, दोनों राज्यों के चुनाव नतीजों ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. हालांकि, छत्तीसगढ़ में उसने दो यानी बस्तर और कोरबा सीटों पर जीत दर्ज की. लेकिन, मध्य प्रदेश में वह अपनी मौजूदा तीन सीटें भी नहीं बचा पाई और 29 लोकसभा सीटों में से उसे केवल छिंदवाड़ा सीट से ही संतोष करना पड़ा, जहां से मुख्यमंत्री कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ ने जीत दर्ज की.
मध्य प्रदेश का सबसे चौंकाने वाला नतीजा गुना का रहा, जहां पिछले 17 साल से चार बार लगातार सांसद रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को कभी उनके शागिर्द रहे डॉ. केपी यादव ने एक लाख 25 हजार 549 वोटों के अंतर से हरा दिया. और तो और, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह को 37 दिन पहले भाजपा में आईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के हाथों तीन लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा. ज्योतिरादित्य सिंधिया तो राज्य में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे हंै और राहुल गांधी ने काफी मशक्कत करके उन्हें मनाया था, तब जाकर कमल नाथ को राज्य की कमान दी गई थी, लेकिन सिंधिया को भी हार का मुंह देखना पड़ा. अपनी हार के बाद सिंधिया ने ट्वीट कर कहा, मैं जनादेश को विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं. मेरे लिए राजनीति जनसेवा करने का केवल एक माध्यम है और मैं सदैव जनसेवा के लिए प्रतिबद्ध रहूंगा. मैं मतदाताओं और कांग्रेस के हर कर्मठ कार्यकर्ता को दिल से धन्यवाद अर्पित करता हूं. डॉ. केपी यादव को जीत की बधाई.
मध्य प्रदेश में पांच महीने पहले ही जनता ने भाजपा की 15 साल पुरानी सरकार को हटाकर सत्ता की चाबी कांग्रेस को सौंपी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चारों खाने चित हो गई. पार्टी को करीब 42 साल बाद करारी हार झेलनी पड़ी. राज्य में पांच महीने पहले बनी कांग्रेस सरकार का वोट बैंक लोकसभा चुनाव में बढऩे के बजाय छह प्रतिशत से ज्यादा घट गया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत वोट मिले थे, जो लोकसभा चुनाव में घटकर 34.56 प्रतिशत रह गए. जबकि विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली भाजपा ने लोकसभा चुनाव में अपने वोटों में 17 प्रतिशत का इजाफा कर लिया. विधानसभा चुनाव में उसे 41 प्रतिशत वोट मिले थे, जो लोकसभा चुनाव में बढक़र 58 प्रतिशत हो गए. राज्य में चूंकि कांग्रेस की सरकार है, जिसकी कमान कद्दावर नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के हाथ में है, लिहाजा पार्टी की उम्मीदें भी बड़ी थीं. इसलिए राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार पर काफी फोकस किया था और 17 चुनावी सभाएं की थीं. प्रियंका गांधी को भी राज्य के रण में उतारा गया और उन्होंने इंदौर में न केवल रोड शो किया, बल्कि रतलाम में चुनावी सभाओं को भी संबोधित किया. बावजूद इसके, पार्टी की सभी सीटों पर करारी हार हुई. मोदी की सुनामी न तो महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सीट बचा पाए और न दिग्गी राजा.
पार्टी के 29 उम्मीदवारों में से 28 को हार का मुंह देखना पड़ा, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल, मीनाक्षी नटराजन, विवेक तन्खा एवं अरुण यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं.लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा, यह सही है कि हमारी उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आए हैं, लेकिन हम जनादेश को स्वीकार करते हैं, उसका सम्मान करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी को बधाई. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह ने कहा, प्रदेश की जनता ने पांच महीने पुरानी कमल नाथ सरकार द्वारा अपने साथ किए गए छल और धोखेबाजी का बदला ले लिया. राज्य में कांग्रेस सरकार गिराने की अटकलों पर शिवराज सिंह ने कहा, भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग में विश्वास नहीं करती. मैंने पहले ही कहा था कि कांग्रेस ने अधिक सीटें जीती हैं, उसे सरकार बनाना चाहिए. भाजपा को राज्य सरकार गिराने में कोई दिलचस्पी नहीं है. अगर कुछ अपने आप हुआ, तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे.
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में लोकसभा की महज 11 सीटें हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के चलते कांग्रेस को उम्मीद थी कि यहां वह कम से कम आधा दर्जन सीटें तो जीत ही लेगी. राज्य के मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल पर पार्टी हाईकमान ने पूरा भरोसा जताया था. लेकिन, पार्टी यहां मौजूदा दुर्ग सीट भी नहीं बचा पाई, उसे केवल बस्तर और कोरबा यानी दो सीटों से संतोष करना पड़ा. पार्टी की सबसे करारी हार बघेल के गृह जिले दुर्ग में हुई, जहां कांग्रेस की उम्मीदवार प्रतिमा चंद्राकर को भाजपा के विजय बघेल ने तीन लाख 91 हजार 978 वोटों से अंतर से हराया. खास बात यह कि मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र पाटन में भी कांग्रेस की उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा. दुर्ग लोकसभा सीट पर राज्य के कृषि मंत्री रवींद्र चौबे, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू एवं पीएचई मंत्री रूद्र गुरु के निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस को लीड नहीं मिली. लोकसभा के चुनाव नतीजों ने पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे पलट कर रख दिए. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 68 और भाजपा को 15 सीटें मिली थीं. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 24 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज कर पाई, जबकि भाजपा ने 66 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया. कांग्रेस को सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के सभी विधानसभा सीटों पर शानदार जीत मिली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में उसे सरगुजा में भी हार का मुंह देखना पड़ा.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि विधानसभा चुनाव में सरगुजा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट किया था, लेकिन पार्टी ने उसकी इच्छा पूरी नहीं की, इसलिए उसे सरगुजा लोकसभा सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा. चुनाव नतीजों को लेकर भाजपा खेमे में उत्साह है, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के अनुसार, प्रदेश समेत देश के दूसरे हिस्से में जहां-जहां भूपेश बघेल के पांव पड़े, वहां कांग्रेस की लुटिया डूब गई. भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को आईना भेजा था. अब एक बार उस आईने में अपना चेहरा देख लें. इस चुनाव में भाजपा को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले. बघेल राष्ट्रीय स्तर का नेता बनने का ख्वाब देख रहे थे. पांच महीने के उनके कार्यकाल को जनता ने पूरी तरह नकार दिया है. दूसरी तरफ, राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी. उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल और फेसबुक पर लिखा, जनादेश प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में आया है. मैं उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. मैं इस चुनाव में अथक परिश्रम करने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के प्रति आभार भी व्यक्त करता हूं.
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