कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतों को देखते हुए सरकार पेट्रोल-डीजल की घरेलू कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए इन्हें जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। इसके अलावा रियल एस्टेट क्षेत्र को भी इस दायरे में लाकर प्रॉपर्टी के दाम घटाने की योजना सरकार बना रही है। बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने ये संकेत दिए हैं। मोदी ने कहा है कि जो वस्तुएं जीएसटी के दायरे से बाहर हैं उन्हें अगले महीने होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में अंदर लाए जाने पर सहमति बन सकती है।
फिलहाल पेट्रोल-डीजल के अलावा रियल एस्टेट, बिजली की सप्लाई व उत्पादन और स्टांप ड्यूटी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। अभी पेट्रोल-डीजल से केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की 40 फीसदी कमाई होती है। अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसके दाम में काफी कमी आ सकती है क्योंकि जीएसटी की अधिकतम दर 28 फीसदी है जबकि पेट्रोल-डीजल पर राज्य सरकारें 49 फीसदी तक टैक्स लगा रही हैं। अगर राज्य पेट्रो उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर सहमत हो जाते हैं तो फिर पूरे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम एक समान होने की उम्मीद है।
हालांकि सुशील मोदी ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल के जीएसटी के दायरे में आने के बावजूद इसकी कीमतों में बहुत ज्यादा कटौती की गुंजाइश नहीं है क्योंकि राज्यों को इस पर अतिरिक्त टैक्स यानी लेवी लगाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि जिस भी देश में पेट्रोलियम पदार्थों पर जीएसटी लगता है, वहां यह सबसे ज्यादा टैक्स वाले स्लैब में है।
इस समय केंद्र सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर बेसिक सेनवेट ड्यूटी के रूप में 8.48 रुपये, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में छह रुपये और स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में 7 रुपये वसूलती है। मतलब कुल मिलाकर 21.48 रुपये का केंद्रीय उत्पाद शुल्क। इसी तरह डीजल पर प्रति लीटर 10.33 रुपये की बेसिक सेनवेट ड्यूटी, छह रुपया एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और एक रुपया स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी देय है। मतलब कुल मिला कर 17.33 रुपये का केंद्रीय उत्पाद शुल्क डीजल।
इसके अलावा राज्य सरकारें इन पर अलग से वैट लगाती हैं। इस समय पेट्रोल पर अधिकतम 48.98 फीसदी (महाराष्ट्र में) और डीजल पर अधिकतम 31.06 फीसदी (आंध्र प्रदेश में) वैट लिया जा रहा है। इस वजह से इनकी कीमत काफी बढ़ जाती है। पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने आवाज उठाई थी। इन नेताओं ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर लगाम कसने के लिए जीएसटी ही एकमात्र रास्ता है। सुशील मोदी का कहना है कि अगले साल बिजली भी जीएसटी के दायरे में आ सकती है।
सस्ता होगा घर खरीदना
इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि रियल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है। सुशील मोदी ने भी इस बात को दोहराया है। जेटली के मुताबिक इससे न सिर्फ आम आदमी को सस्ता घर खरीदने में मदद मिलेगी बल्कि यह टैक्स चोरी पर भी लगाम लगाने में मददगार साबित होगा। जेटली के मुताबिक सबसे ज्यादा टैक्स चोरी रियल एस्टेट क्षेत्र में ही होती है। अगर इसे जीएसटी के दायरे में ला दिया जाता है तो टैक्स चोरी पर काफी हद तक लगाम कसी जा सकती है।
टैक्स स्लैब होंगे कम
नए साल में जीएसटी के टैक्स स्लैब को घटाकर सिर्फ दो पर ही सीमित किया जा सकता है। अरुण जेटली कह चुके हैं कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में मौजूदा 5 टैक्स स्लैब को 2 में ही सीमित किया जा सकता है। उन्होंने संकेत दिए कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इसकी जगह सिर्फ 12 और 18 फीसदी टैक्स स्लैब रखे जा सकते हैं। हालांकि सुशील मोदी ने कहा है कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब की जगह 25 फीसदी अधिकतम स्लैब रहेगा। अगर ऐसा होता है 28 फीसदी में शामिल कई उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। जीएसटी परिषद की अगली बैठक में कई उत्पादों का जीएसटी रेट भी सरकार कम कर सकती है। इससे अन्य कई उत्पादों पर भी आम आदमी को राहत मिलने की उम्मीद है।
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