नई दिल्ली।
आज हर किसी को इस बात पर आश्चर्य है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतें घट रही हैं तो देश में पेट्रोल और डीजल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं। शायद यही वजह है कि इन दिनों पेट्रोल के दामों को लेकर हाहाकार मचा है।
अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें उफ़ान पर नहीं हैं लेकिन पेट्रोल महंगा होता जा रहा है। बीते कुछ दिनों से पेट्रोल की कीमतें बढ़ने के कारण मोदी सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल की कीमतें बढ़ने पर सफ़ाई देने की कोशिश की, लेकिन विरोधी दलों के हमले और जनता की निराशा नहीं थमी। विरोधी दलों का आरोप है कि वैश्विक स्तर पर क्रूड यानी कच्चे तेल के दाम काबू में होने के बावजूद सरकार टैक्स लगाकर पेट्रोल को महंगा कर रही है।
बता दें कि 15 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में इंडियन बास्केट से जुड़े कच्चे तेल के दाम 54.58 डॉलर प्रति बैरल थे। अब सवाल उठता है कि कच्चा तेल अगर सामान्य स्तर पर है तो फिर पेट्रोल इतना महंगा क्यों है। इस सवाल का जवाब बड़ा आसान है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जब पेट्रोल भारत पहुंचता है तो इतना महंगा नहीं होता। अगर मंगलवार, 19 सितंबर 2017 की बात करें तो डेली प्राइसिंग मेथेडॉलोजी के आधार पर पेट्रोल की ट्रेड पैरिटी लैंडड कॉस्ट महज़ 27.74 रुपये थी।
इस कॉस्ट के मायने उस कीमत से है जिस पर उत्पाद आयात किया जाता है और इसमें अंतरराष्ट्रीय ट्रांसपोर्ट लागत और टैरिफ़ शामिल हैं। इस दाम में अगर आप मार्केटिंग कॉस्ट, मार्जिन, फ़्रेट और दूसरे शुल्क जोड़ दें तो पेट्रोल की वो कीमत आ जाएगी, जिस पर डीलरों को ये मिलता है।
19 सितंबर को दोनों को मिला दिया जाए तो डीलरों को पेट्रोल 30.48 रुपये प्रति लीटर की दर पर मिला। आपके मन में ख़्याल आ सकता है कि अगर डीलर को इतनी सस्ती दर पर पेट्रोल उपलब्ध है तो आम आदमी तक पहुंचते-पहुंचते इतना महंगा कैसे हो जाता है। लेकिन असली खेल इसी के बाद शुरू होता है।
30.48 रुपये वाला दाम ग्राहक तक आते-आते 70 रुपये कैसे बन जाता है, इसके पीछे टैक्स का खेल है। असल में डीलरों को मिलने वाली दर और ग्राहक को बेची जाने वाली कीमत में गज़ब का फ़ासला एक्साइज़ ड्यूटी और वैट बनाते हैं।
दिल्ली में आम आदमी को 19 नवंबर को पेट्रोल 70.52 रुपये प्रति लीटर पर मिला। 30.48 रुपये में आप प्रति लीटर 21.48 रुपये एक्साइज़ ड्यूटी जोड़ लीजिए।
कैसे मिलेगी राहत?
ऐसा इसलिए कि इसमें 17.33 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज़ ड्यूटी, 2। 50 रुपये का डीलर कमीशन, 16.75 फ़ीसदी की दर से वैट और 0.25 रुपये प्रति लीटर पॉल्यूशन सेस जुड़ता है जो कुल 8.69 रुपये जोड़े जाते हैं। कुल मिलाकर दाम पहुंच जाता है 58.85 रुपये।
इन दिनों पेट्रोल के दाम कंपनियां तय करती हैं और सरकार का दावा है कि वह इस मामले में दख़ल नहीं देती। ऐसे में अगर जनता को राहत मिलनी है तो सिर्फ़ टैक्स के मोर्चे पर बदलावों से ही मिल सकती है।