चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर अब राजनीति में भी कुछ अनोखे प्रयोग करने की जुगत में हैं. पीके लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम आने के बाद अपने लिए कोई महत्वपूर्ण भूमिका की तलाश में हैं. वह चाहते हैं कि चुनाव के बाद सरकार के गठन और खासकर, प्रधानमंत्री का नाम तय कराने में उनकी अहम भूमिका हो.
पीके मानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले ही कुछ ऐसे दलों का एक समूह बन सकता है, जिनके खाते में 70 से 80 सांसद हो सकते हैं और फिर यही लोग यह तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे कि अगला पीएम कौन हो? हाल में शिवसेना प्रमुख से उनकी मुलाकात को इसी कड़ी से जोडक़र देखा जा रहा है. इसके अलावा, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस और बीजू जनता दल जैसी पार्टियां भी हैं, जो अभी एनडीए में नहीं हैं.
टीडीपी भी चुनाव बाद अपने पत्ते खोल सकती है. पीके की रणनीति के अनुसार, भाजपा को इन दलों से मदद की जरूरत पड़ सकती है. तो क्या उस वक्त पीके पीएम पद के लिए कोई नया नाम उछाल सकते हैं और क्या वह नाम नीतीश कुमार का हो सकता है? राजनीति में भला असंभव तो कुछ भी नहीं होता, इसलिए पीके अपनी रणनीति मजबूत बनाने में जुटे हैं.