23 जनवरी से स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक शुरू हो गई है। इस साल सम्मेलन का उद्घाटन भाषण भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की 48वीं सालाना बैठक को संबोधित भी किया। स्विट्ज़रलैंड के दावोस में 20 साल बाद यह पहला मौका है जब भारत का कोई प्रधानमंत्री इसमें हिस्सा लेने पहुंचा है। इसके पहले 1997 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा दावोस गए थे।
पीएम मोदी ने कहा कि जब दुनिया के सामने कोई साझा चुनौती आए तो सभी को एकजुट होकर उनका सामना करने की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के सामने क्लाइमेट चेंज की बड़ी चुनौती है और हम इससे लड़ने के लिए अभीतक एकजुट होकर प्रयास नहीं कर पा रहे हैं।
भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता है। हजारों साल पहले भारत में मानव मात्र को भूमि माता पुत्रो अहम पुत्र यानी हम सभी पृथ्वी की संतान हैं। यदि ऐसा है तो आज हम पृथ्वि की संतानों में युद्ध क्यों चल रहा है?
भारत को 2022 तक 100 गीगा वॉट बिजली का उत्पादन करना है। एक तिहाई लक्ष्य को हम प्राप्त कर चुके हैं। इंटरनैशनल एलाएंस की पहल पर हमारी यह कोशिश अब सफल हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है। आतंकवाद से दुनिया की सभी सरकारें परिचित हैं। इनके दो आयामों पर पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी अधिक खतरनाक है गुड टैरेरिस्ट और बैड टैरेरिस्ट के बीच भेद। और दूसरी समस्या पढ़ें-लिखे लोगों का आतंकवाद में लिप्त होना।
चार दिन तक चलने वाले आयोजन में राजनीति, कारोबार, कला, शिक्षा, नागरिक समाज में काम कर रही तकरीबन तीन हजार से ज्यादा हस्तियां हिस्सा ले रही हैं। भारत से करीब 130 प्रतिभागी सम्मेलन के लिए पहुंचे हैं।