नई दिल्ली। एक ओर पाकिस्तान कश्मीर राग अलापने से बाज नहीं आ रहा था, तो पीएम मोदी भी उसे सुधरने का मौका देने के लिए लचीला रुख अपना रहे थे। पाकिस्तान इसी का नाजायज फायदा उठा रहा है। शुक्र है कि यह बात हमारे नेताओं की समझ में आ गई है और वे पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने का मन बना रहे हैं। कश्मीर मसले को लेकर शुक्रवार को आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर का भी अभिन्न हिस्सा है। कश्मीर मसला बिना पीओके के लोगों को शामिल किए हल नहीं किया जा सकता। पीओके के वे लोग जो दूसरी जगह रह रहे हैं, उन्हें भी वार्ता में शामिल किया जाना जरूरी है। इससे पहले राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कश्मीर हिंसा पर चर्चा के दौरान कहा था कि पड़ोसी पाकिस्तान से अब बात पाक अधिकृत कश्मीर पर ही होगी। उन्होंने यह भी कहा था कि कश्मीर मसले पर सरकार सभी पक्षों से बात करने को तैयार है।
पीएम मोदी ने कुछ यूं रखी अपनी बात
यह बड़ी खुशी की बात है, कि सभी साथियों ने एक स्वर और एक भावना व्यक्त की है। आज जब हम जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं, तो हमें जम्मू-कश्मीर राज्य के चार भागों की बात करनी चाहिए-जम्मू, कश्मीर-घाटी, लद्दाख, और पाक-अधिकृत कश्मीर। मैं सभी राजनैतिक दलों के नेताओं का आभारी हूं कि उन्होंने जम्मू और कश्मीर के इलाकों में मौजूदा स्थिति के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की है। कुछ मुद्दों पर हमारे बीच कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन जब देश की अखंडता और संप्रभुता की बात आती है तब हम एकजुट रहते हैं।
जम्मू व कश्मीर में हाल ही में हुई घटनाओं से हर भारतीय की तरह मेरे हृदय को भी काफी गहरा दुख पहुंचा है। मुझे यह देखकर बहुत दुख होता है कि बच्चे अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, सेब का उत्पादन मंडियों तक पहुंच नहीं पा रहा। दुकानदारों की दैनिक आमदनी नहीं हो रही है और सरकारी कार्यालय लोकहित के कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इस स्थिति से सबसे अधिक गरीब प्रभावित है। हम पॉलिटिकल वर्कर्स का अस्तित्व तो लोगों की वजह से ही है। ये हमारी ताकत हैं, हमारी ऊर्जा का स्रोत हैं। वास्तव में, जनशक्ति हमारे सार्वजनिक जीवन का अहम हिस्सा हैं। चाहे कोई भी हताहत हो, नागरिक हों या फिर सुरक्षा बल, दुख हम सब को होता है। उनके परिवारों के साथ मेरी पूरी सहानुभूति है। घायल हुए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और साथ ही हम जल्द से जल्द घाटी में शांति स्थापित करना चाहते हैं ताकि यहां के लोग अपना सामान्य जीवन जी सकें, अपनी रोजी-रोटी कमा सकें, अपने बच्चों को पढ़ा सकें और रात में सुकून से सो सकें। हम कश्मीर के मुद्दे का संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप स्थाई और शांतिपूर्वक हल के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम खुले विचारों वाले हैं और हमारे दरवाजे हमेशा खुले हैं। हम पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य के हर नागरिक के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। समाधान ढूंढने के लिए हम श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते रहे हैं।
जम्मू और कश्मीर को अक्सर भारत का ताज कहा जाता है। असल में जम्मू और कश्मीर सर्व पंथ सम्भाव की सदियों पुरानी प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जहां पर हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं मुसलमान सदियों से एक साथ रहते आए हैं। जम्मू-कश्मीर राज्य हमारे फाउंडिंग फादर्स के उस विश्वास का प्रतीक है जो हमें हमारी विविधताएं होते हुए भी हमे एक भारतीय के रूप में उजागर करता है। जम्मू और कश्मीर न केवल हमारी क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा है बल्कि यह हमारी राष्ट्रीयता की परिभाषा भी है। हम इन हकीकतों से इनकार नहीं कर सकते कि सुरक्षा बलों ने हर प्रकार की चोटें सही हैं, उनके ऊपर सुनियोजित हमले हुए हैं, इसके बावजूद सुरक्षा बलों ने संयम दिखाया है। आंकड़े बताते हैं कि सुरक्षा बल बड़ी संख्या में घायल हुए हैं। कुछ तत्वों के दुष्प्रचार के बावजूद, कश्मीर में भ्रम और अशांति फैलाने वालों और बच्चों को उकसाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है। हर कश्मीरी अमन चैन चाहता है और लोकतंत्र में विश्वास रखता है। इसलिए लगातार चुनाव के बाद चुनाव में, कुछ अलगाववादी तत्वों द्वारा दी गई धमकियों के बावजूद कश्मीर की जनता ने लोकतंत्र के इस हर पावन पर्व पर भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी आस्था व्यक्त की। कश्मीर में अशांति की जड़ क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म है, जिसको मुख्यतः पड़ोसी देश से प्रोत्साहन मिलता है।