सुनील वर्मा
8 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट बंद कर उन्हें बैंक में जमा कराने का ऐलान किया तो वित्त मंत्रालय से लेकर रिजर्व बैंक को भी इस बात का ख्याल नहीं था कि प्रतिबंधित हुए इन नोटों की शक्ल में देश में करोड़ों का ऐसा धन भी है जो 31 दिसंबर तक बैंकों में जमा नहीं हुआ तो उसका क्या होगा? ये धन कहीं और नहीं बल्कि तमाम राज्यों के हजारों पुलिस थानों के मालखानों में जमा हैं। रिजर्व बैंक से लेकर वित्त मंत्रालय तक की ओर से अभी तक कोई ऐसा स्पष्ट आदेश नहीं आया है कि 31 दिसंबर के बाद और कुछ विशेष मामलों में 31 मार्च तक आरबीआई के पास नोट जमा कराने की अवधि बीत जाने के बाद इन नोटोें का क्या होगा?
मालाखानों में जमा नकदी
ब्यूरो आॅफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के ताजा आंकड़ोें के मुताबिक देश भर में करीब 12,833 पुलिस थाने हैं, जहां लूट, डकैती, चोरी, जुआ, सट्टेबाजी, एनडीपीएस एक्ट व घूसखोरी (भष्टाचार) के मामलों में हजारों, लाखों और करोड़ों रुपये बरामद होते हैं। केस दर्ज होने के साथ ही रुपयों को थाने में जमा करा दिया जाता है। केस का फैसला आने तक ये रुपये थानों के मालखाने में रहते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के वकील आलोक कुमार पांडे के मुताबिक, पुलिस द्वारा बरामद की गई नकदी केस प्रॉपर्टी होती है। जब तक केस का फैसला नहीं आ जाता, रुपयों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती है। उसके बाद जिस तरह का भी फैसला आता है उसके हिसाब से रुपयों को या तो सरकारी खजाने में जमा करा दिया जाता है या फिर उस व्यक्ति को ही लौटा दिया जाता है जिससे बरामद होता है। भ्रष्टाचार, जुए और सट्टेबाजी के ज्यादातर मामलों में तो बरामद नकदी पर आरोपी अदालत में अपना हक दायर नहीं करते जिसके चलते ये धन मालखानों में ही जमा रहता है। कई बार तो इतना वक्त गुजर जाता है कि मालखाने में जमा नोटों को चूहे कुतर देते हैं या सीलन व दीमक लगने के कारण वे खराब हो जाते हैं।
मालखानों में कितनी नकदी
गृह मंत्रालय से लेकर किसी भी राज्य पुलिस मुख्यालय के पास ये आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि कितने पुराने नोट मालखानों में जमा थे। कई राज्यों के पुलिस मुख्यालय से ऐसे आंकड़े लेने की कोशिश की गई मगर महकमे के पास इसका कोई लेखा जोखा नहीं था। लेकिन इस आंकड़े को जानने के लिए बस दो उदाहरण पर नजर डालें तो अंदाजा लगा सकते हैं पूरे देश में कितने पुराने नोट दिसंबर महीने के अंत में मालखानों में जमा होंगे। ओपिनियन पोस्ट ने देश की राजधानी में नई दिल्ली जिले के डीसीपी ब्रज किशोर सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि 23 दिसंबर को जब उन्होंने अपने जिले के 7 थानों से मालखानों में जमा पुराने नोटों की जानकारी एकत्र कराई तो करीब 32 लाख की नकदी मालखानों में जमा थी। इनमें ज्यादातर रकम 1000 व 500 रुपये के नोट के रूप में थी। इस जिले के अकेले एक थाने में ही 11 लाख रुपये की ऐसी रकम पुरानी करेंसी के रूप में जमा थी।
ओपिनियन पोस्ट ने इसी तरह दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के हाईटेक सिटी गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) में भी ऐसा ही रियलिटी चेक किया तो वहां वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र कुमार के कार्यालय से जानकारी मिली कि जिले के 29 थानों के मालखानों में करीब 1 करोड़ 52 लाख रुपये जमा थे। इसमें भी अधिकांश रकम 500 व 1000 के नोटों के रूप में ही थी। गाजियाबाद पुलिस के मालखानों में जमा ऐसे पुराने नोटों का आंकड़ा 2 करोड़ से कुछ ज्यादा निकला।
दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त और बाद में गृह मंत्रालय की पुलिस रिफॉर्म कमेटी के चेयरमैन रहे अजय राज शर्मा मालखानों में पड़े पुराने नोटों के अनुमानित आंकड़े को समझाने के लिए उदाहरण देते हैं कि अगर देश में सभी थानों के मालखानों में औसतन एक लाख रुपये की रकम पुराने नोटों के रूप में मानी जाए तब भी ये रकम 100 करोड़ से ज्यादा होगी।
क्या होगा इन नोटों का?
ये बात हैरत में डालने वाली है कि नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने करीब 65 बार कई तरह के दिशा निर्देश जारी किए। लेकिन मालखानों में जमा पुराने नोटों को बदलने के बारे में एक भी दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया। थानों के मालखानों में केस प्रॉपर्टी के रूप में जमा पुराने नोट कहां और कैसे जमा कराने हैं और नोट जमा कराने की अवधि बीत जाने पर भी विलंब हुआ तो इस दशा में नोटों का क्या होगा? इस तरह के सवालों पर आज तक कोई स्पष्ट दिशा निर्देश न होने के कारण भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हालांकि इस मामले में जब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल से बात की गई तो उन्होंने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि थानों में केस प्रॉपर्टी के रूप में जमा नोट सरकारी धन है। इसलिए इसे आरबीआई के काउंटरों पर 31 मार्च तक जमा किया जा सकता है। जरूरत पड़ी तो इसके लिए अन्य उपाय किए जाएंगे।
आधा-अधूरा समाधान
सभी राज्यों में बड़े स्तर पर पुलिस अधिकारियों ने मालखानों में बंद पड़े पुराने नोटों को रद्दी होने से बचाने के लिए अलग-अलग तरह के दिशा निर्देश जारी किए। लेकिन अल्प समय और कानूनी पेचों में फंसे इन निदेर्शों का अभी तक आधा अधूूरा ही पालन हुआ है क्योंकि इसी बीच बैंकों में पुराने नोट जमा कराने की अवधि खत्म हो गई। अब सिर्फ 31 मार्च तक रिजर्व बैंक में पुराने नोट जमा कराने की मियाद बाकी है। लेकिन ये सारी कवायद इतनी कानूनी पेचीदगियों और एक टेबल से दूसरे टेबल तक फाइल जाने की प्रक्रिया से जुड़ी है कि मालखानों में जमा सभी पुराने नोट बैंकों में जमा होने पर संशय बना हुआ है।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता दीपेन्द्र पाठक ने बताया कि थानों के मालखानों में जमा नकदी को सभी जिले के पुलिस उपायुक्तों के नाम बैंक खाता खुलवाकर उसमें जमा कराने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस का लीगल सेल कानूनी पेचों में उलझे इस मामले में अभी भी फंसा है। लीगल सेल के डीसीपी शिबेश सिंंह ने बताया कि मालखानों में जमा नोट सीआरपीसी की धारा 451 से कंट्रोल होते हैं। इसलिए सभी थानों के एसएचओ अपने संबंधित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर जिला डीसीपी के नाम से खुल रहे खातों में जमा कराएंगे। चूंकि यह सरकारी रकम है इसलिए कोर्ट द्वारा आदेशित होने पर बैंकों में यह रकम जमा की जा सकती है। इसके लिए आरबीआई के नाम पुलिस की तरफ से अदालती आदेश की प्रति व हलफनामा दिया जाएगा। उनका कहना है कि 31 मार्च की समयावधि के अंदर नकदी को बैंक में जमा करा दिया जाएगा।
कानूनी प्रक्रिया बेहद जटिल
उत्तर प्रदेश देश के बड़े राज्यों में गिना जाता है। यहां पुलिस थानों की संख्या भी अधिक है। दूसरे राज्यों की तरह यहां भी पुलिस मालखानों में जमा पुराने नोट जमा कराने की प्रक्रिया जारी है। दिसंबर माह में यूपी के डीजीपी जावेद अहमद ने भी एक निर्देश जारी कर मालखानों के नोट बैंक और ट्रेजरी में जमा कराने के निर्देश दिए थे। डीजीपी के प्रवक्ता राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक, मालखानों में जमा संपत्ति पर चूंकि अदालत का अधिकार होता है। इसलिए सभी थानाधिकारी पहले इस नकदी को संबंधित मुकदमे से जुड़े मजिस्ट्रेट से आदेश हासिल करके सील तोड़ने की प्रक्रिया में लगे हैं। फिर इनकी गिनती करके जिले की ट्रेजरी या राजकोष में जमा कराने की प्रक्रिया कर रहे हैं। कई जिलों में ये प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। उनके इस बयान की वास्तविकता परखने के लिए दिल्ली से सटे गाजियाबाद और नोएडा में ही दो अलग-अलग थानों में जब मालखानों के आरक्षियों से बात की गई तो पता चला कि 31 दिसंबर बीत जाने के बाद भी पुलिस को अदालत से ये आदेश नहीं मिला है कि संबंधित मुकदमे की रकम को मालखाने से निकालकर कहां जमा करना है।
गौतमबुद्ध नगर जिले के वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी ललित मुदगल का कहना है कि थाना स्तर पर अदालती आदेश हासिल करने की प्रतिबद्धता जटिल कानूनी प्रक्रिया है। उसी के बाद पुराने नोटों को आरबीआई की शाखा में जमा किया जा सकता है। मार्च से पहले ये काम पूरा हो जाएगा। ज्यादातर पुलिस अधिकारी इस सवाल पर निरुत्तर हो गए कि अदालती आदेश मिलने पर भी मालखाने के पुराने नोट ट्रेजरी में तो जमा नहीं होंगे क्योंकि बैंक में नोट जमा कराने का समय पूरा हो चुका है। इतनी बड़ी संख्या में मालखानों के पुराने नोट सीधे रिजर्व बैंक में ही जमा हो पाएंगे?
उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता प्रदीप गोडबोले अपने राज्य में पुलिस थानों में जमा पुराने नोटों के बारे में बताते हैं कि ज्यादातर थानों की पुलिस ने मालखाने की नकदी अदालती आदेश लेकर ट्रेजरी में जमा करा दी है जहां ये काम पूरा नहीं हो पाया वहां प्रक्रिया जारी है। राजस्थान पुलिस के प्रवक्ता का ऐसा ही कहना है कि अदालती आदेश के बाद मालखानों के पुराने नोट आरबीआई में जमा कराने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन हकीकत ये है कि अभी सैकड़ों थानों के मालखानों में पुरानी करेंसी ज्यों की त्यों रखी है।
मालखानों में जमा पुराने नोटों को अब बैंकों में जमा कराने की फांस दूसरे राज्यों की पुलिस के गले में भले ही फंसी हो लेकिन जम्मू कश्मीर में पुलिस को राहत है। सूबे के एक बड़े पुलिस अधिकारी के मुताबिक, राज्य की पुलिस मुकदमों से संबधित सभी तरह की संपत्ति या नकदी को अपने मालखानों में नहीं रखती। इसे मुकदमा दर्ज करते ही अदालत के सुपुर्द कर दिया जाता है जहां से इसे राज्य की ट्रेजरी में जमा करा दिया जाता है। लेकिन दूसरे राज्यों में इस करेंसी को आरबीआई में जमा कराने पर पुलिस की सांस फूल रही है।