प्रयागराज में ऐतिहासिक कुंभ का आयोजन हो रहा है. देश-विदेश से आए असंख्य श्रद्धालुओं-पर्यटकों की मौजूदगी ने इस भव्य आयोजन को चार चांद लगा दिए हैं. आस्था और विभिन्न संस्कृतियों के इस महा-समागम को हमेशा याद किया जाएगा, केवल इसकी भव्यता के लिए नहीं, बल्कि इसलिए भी कि शासन की चाक-चौबंद व्यवस्था के साथ-साथ आगंतुकों ने स्व-अनुशासन के जरिये आमजन के लिए एक मिसाल पेश की है.
जब उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में आयोजित कुंभ के बारे में अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय जैसे शब्दों का प्रयोग किया था, तो यह स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था. लेकिन, जिस तरह इस महा-समागम की व्यवस्थाओं के चमत्कारिक स्वरूप सामने आ रहे हैं, उन्हें देखकर अब लगता है कि यह कुंभ वास्तव में अविस्मरणीय रहने वाला है. इतने बड़े समागम का आयोजन जिस सहजता-सजगता के साथ किया जा रहा है, वह वास्तव में अद्भुत है. रात में करीब 47 हजार एलईडी बल्ब की रोशनी से सराबोर संगम तट का नजारा ऐसा दिखाई पड़ता है, जैसे साक्षात भगवान विश्वकर्मा ने धरती पर आकर इस अस्थायी शहर को बसाया है. यहां आने वाले लोगों की आंखें इस नजारे को देखकर चौंधिया जाती हैं और हर-हर महादेव के नारों से वातावरण गुंजायमान हो जाता है. रंग-बिरंगे टेंट एलईडी बल्बों की रोशनी में अद्भुत नजारा पेश करते हैं, जिसकी तारीफ न करना खुद को धोखा देने जैसा प्रतीत होता है. लाखों लोग बिना किसी अव्यवस्था के स्वत: स्फूर्त तरीके से स्वयं नियंत्रित होते हैं, जैसे कुंभ का आयोजन सरकार ने नहीं, बल्कि उन्होंने खुद किया हो. यही नहीं, यहां आए साधु भी नि:संकोच सुरक्षा की जिम्मेदारी उठा रहे हैं और श्रद्धालुओं की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी बिना रुके, बिना थके लगातार कुंभ के सफल आयोजन में तत्पर हैं.
भव्यता से लबरेज आयोजन
15 जनवरी से शुरू हुआ यह कुंभ अभी पांच मार्च तक चलेगा. जिस तरीके की भव्यता के साथ इसका आगाज हुआ है, उससे यह अनुमान लगाना सहज है कि इसका अंजाम भी शानदार होने वाला है. लाखों लोग हर दिन संगम में स्नान-ध्यान-पूजन करने आ रहे हैं. लेकिन, कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें, तो अभी तक ऐसी कोई लापरवाही सामने नहीं आई है, जिससे विश्व के इस सबसे बड़े समागम की व्यवस्थाओं पर उंगली उठाई जा सके. लाखों लोगों के रहने, खाने-पीने और सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, जिस तरह से ख्याल रखा जा रहा है, वह काबिले तारीफ है. सामान्यत: एक छोटे से आयोजन में भी कई खामियां रह जाती हैं. ऐसे में अपार भीड़ वाले इस महान आयोजन में छोटी-मोटी समस्याओं पर कोई सवाल उठाना बेमानी है. हालांकि, कुछ दिन पहले साधुओं के शिविरों में आग लग गई थी, लेकिन तत्काल उस पर काबू पाते हुए कोई बड़ी दुर्घटना होने की आशंकाओं पर ब्रेक लगा दिया गया. ऐसी व्यवस्था को अकल्पनीय करार देना कोई अतिशयोक्ति नहीं है.
अपार जन-सैलाब
इस कुंभ में चौदह करोड़ लोगों के आने का अनुमान लगाया गया है. सरकार ने भी उसी के अनुसार तैयारियां कर रखी हैं. ऐसे बड़े आयोजनों में सबसे बड़ी समस्या पानी और सफाई की होती है. हालांकि, थोड़ी परेशानी तो लोगों को हो रही है, लेकिन व्यवस्थाओं की ओर नजर डालें, तो पानी और सफाई के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेला परिसर में एक लाख 22 हजार से अधिक अस्थायी शौचालयों बनाए गए हैं और जगह-जगह पेयजल की व्यवस्था की गई है. सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए एक हजार से अधिक सफाई कर्मियों को इस कार्य में लगाया गया है. दिन-रात मेहनत करने वाले उक्त सफाई कर्मी भी इस आध्यात्मिक-धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजन का भरपूर आनंद ले रहे हैं और पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं. कूड़ा-कचरा फैलने से रोकने के लिए 20 हजार से अधिक कूड़ेदानों की व्यवस्था की गई है. हालांकि, इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद सफाई की थोड़ी समस्या मेला परिसर में नजर आती है. प्रयागराज में आयोजित इस कुंभ की व्यवस्था और सौंदर्य को देखने और इसका अनुभव करने वालों के लिए यह अविस्मरणीय भी है. आस्था, विश्वास एवं सौहाद्र्र के इस महापर्व को केवल अध्यात्म तक सीमित नहीं रखा जा सकता.
दिल खोलकर खर्च
यह धार्मिक पर्यटन का भी एक स्वरूप है. इसके लिए जितना पैसा खर्च किया गया है, उससे कई गुना ज्यादा राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है. आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ के आयोजन के लिए 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इतनी बड़ी रकम आवंटित किए जाने को लेकर थोड़ी आलोचना भी हुई. पिछली बार साल 2013 में आयोजित कुंभ के लिए 1,300 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इस बार आयोजित कुंभ का क्षेत्र पिछली बार से दोगुना है. पिछली बार करीब 1,600 हेक्टेयर क्षेत्र को मेला परिसर बनाया गया था, जो इस बार बढक़र 3,200 हेक्टेयर हो गया है. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाले इस आयोजन पर होने वाले खर्च को लेकर चल रहे विवादों के बीच भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने एक आंकड़ा पेश किया है, जिसे देखते हुए इस आयोजन को आर्थिक रूप से भी सफल बताया जा सकता है. सीआईआई के मुताबिक, प्रयागराज कुंभ के आयोजन से 1,200 अरब यानी 1.20 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है.
रोजगार के दो लाख अवसर
सीआईआई के अध्ययन के मुताबिक, कुंभ मेला क्षेत्र के आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी. अध्ययन के मुताबिक, करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा. साथ ही इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म जैसे क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, टूर गाइड, टैक्सी चालक, दुभाषिए और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे. इससे सरकारी एजेंसियों एवं वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी. सीआईआई के अनुमान के मुताबिक, कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश को करीब 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलेगा. इसके अलावा पड़ोसी राज्यों मसलन राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश को भी फायदा होगा. ऐसा इसलिए है, क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक इन राज्यों के पर्यटन स्थलों पर भी जा सकते हैं.
श्रद्धालुओं का स्व-अनुशासन
प्रयागराज में विश्व के इस सबसे बड़े आयोजन में देश-विदेश के लाखों लोग प्रतिदिन आ रहे हैं और इस अद्भुत, अकल्पनीय और अविस्मरणीय कुंभ के दौरान संगम में पवित्र स्नान करके एक नई अनुभूति प्राप्त कर रहे हैं. कडक़ड़ाती ठंढ को मात देते हुए लाखों लोग स्व-नियंत्रित होकर संगम तट की तरफ बढ़ते हैं और स्नान करके इसकी अविस्मरणीय यादों को सहेज कर ले जाते हैं. पांच मार्च तक चलने वाले इस दिव्य आयोजन का आनंद लेने के लिए न केवल देश के कोने-कोने से लोग आ रहे हैं, बल्कि विदेशों से भी अच्छी-खासी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं. यूरोप और अमेरिका के लोगों के मन में भी इसके प्रति काफी उत्सुकता है. स्पेन से आए एक शख्स का कहना है कि उनके यहां इसकी जोर-शोर से चर्चा हो रही है और लोग वहां के सबसे बड़े आयोजनों से ज्यादा कुंभ की भव्यता को सराह रहे हैं. यूरोप के कई देशों की जनसंख्या से ज्यादा लोग इस कुंभ के दौरान प्रयागराज पहुंच रहे हैं. प्रवासी भारतीय सम्मेलन में भाग लेने आए लोगों ने भी कुंभ स्नान किया और इस आयोजन को अद्भुत करार दिया है. विभिन्न मठों और अखाड़ों के साधुओं को देखने, उनका सानिध्य पाने के लिए लोग उत्सुक नजर आते हैं. विभिन्न संस्कृतियों के समागम के इस पवित्र पर्व को यूनेस्को ने भी मानवता की अमूर्त विरासत के रूप में मान्यता दी है.
व्यवस्थाओं पर एक नजर
- 4,200 प्रीमियम टेंट लगाए गए.
- 20,000 बिस्तरों की क्षमता वाला जन-परिसर
- 2,000 लोगों की क्षमता वाला प्रवचन सभागार
- 1,22,000 से अधिक शौचालय
- 20,000 से अधिक कूड़ेदान
- 1,000 से अधिक सफाईकर्मी
- 2,000 से अधिक गंगा प्रहरी
- 300 किमी की सडक़ मेला क्षेत्र में
- 22 पंटून पुलों का निर्माण
- 84 से अधिक पार्किंग स्थल
- 54 ठहराव क्षेत्र भीड़ नियंत्रण के लिए
- 24 शटल बसें और हजारों सीएजी ऑटो
- 2,000 से अधिक डिजिटल पथ प्रदर्शक बोर्ड
पवित्र स्नान के साथ कराएं आंखों की जांच
आध्यात्म, संस्कृति एवं सौहाद्र्र के इस महा-समागम में आने वाले लोगों को नेत्र कुंभ के माध्यम से आंखों की समुचित नि:शुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. नेत्र कुंभ के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है. सेक्टर-6, प्रवचन मंडल के पास लगभग 14 हजार वर्ग मीटर में भव्य पंडाल लगाया गया है, जहां नौ अलग-अलग टेंट लगाए गए हैं. आगंतुकों की आंखों की जांच की जिम्मेदारी करीब 400 नेत्र विशेषज्ञों को सौंपी गई है. नेत्र कुंभ के माध्यम से 10 लाख लोगों की जांच के साथ ही एक लाख लोगों को नि:शुल्क चश्मे देने और 10 हजार लोगों की आंखों का ऑपरेशन करने का लक्ष्य रखा गया है. बता दें कि देश में लगभग 46 लाख लोग कॉर्नियल अंधेपन से ग्रसित हैं. इसलिए ‘दृष्टि का अधिकार’ मुहिम को आगे बढ़ाते हुए नेत्र कुंभ के माध्यम से ‘नेत्र दान-महादान’ के संदेश के साथ लोगों को नेत्र दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.