गुलाम चिश्ती/सदन मोहन महाराज
असम में पर्यटन के विकास के लिए बालीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा को ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है। इसी सिलसिले में प्रियंका 24 दिसंबर को गुवाहाटी में थीं। वैसे राज्य के पर्यटन मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने इसकी घोषणा पहले ही कर दी थी। हिमंत के पास स्वास्थ्य और शिक्षा महकमे की भी जिम्मेदारी है जिसमें उन्होंने व्यापक काम किया है। अब वे पर्यटन विभाग का भी कायाकल्प करने में जुट गए हैं। संभव है कि भविष्य में राज्य सरकार के इस अभियान का सार्थक परिणाम सामने आए। वैसे, असम ही नहीं, पूरे पूर्वोत्तर में पर्यटन क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं। कुदरत ने इस पूरे क्षेत्र को ऐसी खूबसूरती बख्शी है जिसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता। यहां खूबसूरत पहाड़, नदी, पठार और झीले हैं। यहां बाग-बगीचों और पार्कों की भी कमी नहीं है मगर समुचित पर्यटन नीति न होने के कारण यहां उतने पर्यटक नहीं आते जितने आने चाहिए।
पर्यटन के जानकार डी. चक्रवर्ती ने ओपिनियन पोस्ट को बताया, ‘पर्यटन के क्षेत्र में काफी संभावनाएं होने के बावजूद पूर्वोत्तर राज्यों की सरकारें प्रचार-प्रसार के मामले में पिछड़ी हुई हैं। समुचित प्रचार के अभाव में यहां उतने पर्यटक नहीं आते जितने आने चाहिए।’ चक्रवर्ती उदाहरण देते हुए कहते हैैं, ‘हम केरल को ही लेंंं, जहां असम या पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों से कम बारिश होती है मगर वहां की सरकार खाड़ी देशों के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वहां के समाचार पत्रों में बारिश का लुत्फ उठाने का आमंत्रण देती है। केरल पर्यटन विभाग के इस आमंत्रण पर भारी संख्या में पर्यटक खाड़़ी देशों से बारिश का आनंद उठाने के लिए केरल आते हैं। दूसरी ओर, देशभर में नौग्रह मंदिरों की संख्या कम है। पूरे दक्षिण भारत में एक ही नौग्रह मंदिर है। इसके वार्षिक कार्यक्रमों को वहां का पर्यटन विभाग इस तरह प्रचारित करता है कि देशभर से लोग वहां पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। गुवाहाटी का नौग्रह मंदिर उससे भी पुराना है। इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है मगर प्रचार के अभाव में मंदिर प्रबंधन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में गुवाहाटी तक के लोग भी नहीं पहुंचते। सच्चाई तो यह है कि सिक्किम और मेघालय को छोड़कर पूर्वोत्तर का कोई भी राज्य अपने पर्यटन के विकास के लिए कुछ भी नहीं कर रहा है। इस मामले में असम सरकार अब तक सबसे फिसड्डी रही है। प्राथमिक स्तर पर ही सही, हिमंत विश्वशर्मा के प्रयास सराहनीय हैं।’
टूर एंड ट्रेवल्स उद्योग से जुड़े राजीव फूकन का कहना है, ‘नोटबंदी के कारण पर्यटन व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है। क्रिसमस से लेकर नए साल तक भारी संख्या में देसी- विदेशी पर्यटक गुवाहाटी होते हुए शिलांग और तवांग जाते थे मगर वर्तमान में उनकी संख्या घटी है। इस उद्योग को संभलने में करीब छह महीने से ज्यादा समय लग जाएगा। फिर भी पर्यटन को बढ़ाने के लिए हिमंत विश्वशर्मा की ओर से किया गया प्रयास सराहनीय है। अब तक इस स्तर पर पर्यटन को बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए। असम आने वाले ज्यादातर देसी-विदेशी पर्यटक कामाख्या मंदिर और काजीरंगा जाते हैं। कुछ लोग माजुली जाना चाहते हैं मगर सुरक्षा और आवागमन की कमी के कारण वे वहां नहीं जा पाते। इंटरनेट पर भी यहां के बारे में जिस स्तर की जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए वह नहीं है। यदि पर्यटन का यहां सही ढंग से विकास किया जाए तो बेरोजगारी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।’
पूर्वोत्तर मेंं पर्यटक काजीरंगा, कामाख्या मंदिर, शिलांग, चेरापूंजी और तवांग की घाटियों में छुट्टी का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं मगर नोटबंदी के कारण मठ-मंदिरों, मनोरंंजक और पर्यटन के अन्य स्थानों पर भीड़ में कमी आई है। पर्यटकों की कमी से होटल, वाहन और अन्य उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। होटल उद्योग से जुड़े एम. गोयनका का कहना है, ‘गुवाहाटी, शिलांग, तवांग और अन्य स्थानों के होटलों में दिसंबर से जनवरी तक पर्यटकों का जमघट लगा रहता था मगर इस साल इसमें कमी आई है।’ अपनी टैक्सी खुद चलाने वाले एम. शफी का कहना है, ‘इस बार हर साल की तरह मजा नहींं है। विदेशी पर्यटक तो गाहे-बगाहे यात्रा कर रहे हैं मगर देसी पर्यटकों में भारी कमी आई है। यहां दिसंबर से फरवरी तक पर्यटक आते रहते हैं। इन तीन महीनों में डेढ़ से दो लाख रुपये तक की कमाई हो जाती थी मगर इस बार आमदनी आम दिनों की तरह ही है।’