नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद उत्पन्न कैश की किल्लत के मद्देनजर कैशलेस भुगतान की जरूरत को रेलवे ने भी महसूस किया है और कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की दिशा में अग्रसर है। अगले 6 महीने में रेलवे अपने सभी रिजर्वेशन काउंटर और टिकट काउंटरों पर पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीनें लगाने पर विचार कर रहा है।
रेलवे ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और आईसीआईसीआई सहित अन्य बैंकों से रेल काउंटरों के लिए लगभग 15,000 प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनें उपलब्ध कराने के लिए कहा है। इनमें लगभग 1,000 मशीनें 31 दिसंबर तक मिलने की उम्मीद है।
अभी रेलवे के टिकट काउंटरों पर डेबिट और क्रेडिट कार्ड पेमेंट के लिए पीओएस सर्विस नहीं है। रेलवे के पास करीब 12,000 टिकट काउंटर हैं। इनमें से सभी को एक या अधिक पीओएस मशीनों से लैस करने की तैयारी है। पर्याप्त संख्या में स्वाइप मशीनें उपलब्ध होंगी तो इससे कर्मचारियों पर भी बोझ कम हो जाएगा।
एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में सभी शहरी इलाकों में मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। अधिकारी ने कहा कि मुंबई जैसे स्थानों पर मासिक पास की बड़ी संख्या में बिक्री होती है। ऐसी जगहों पर तुरंत पीओएस मशीनें इंस्टॉल होंगी। एसबीआई ने 1,000 मशीनें उपलब्ध कराने का वादा किया है। हालांकि आईआरसीटीसी लॉग इन से कैशलेस ट्रांजेक्शन को काफी बल मिल रहा है।
रेल मंत्रालय की योजना अपने वेंडरों और कॉन्ट्रैक्टरों को भी कैशलेस भुगतान करने की है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पहले ही अपने अधिकारियों को निर्देश दे दिया है कि वे रेलवे को पहला कैशलेस बनाने में जुट जाएं। आईआरसीटीसी के जरिये रेल टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग पर सर्विस चार्ज 31 दिसंबर तक समाप्त कर दिया गया है। इससे ऑनलाइन टिकट बुकिंग को प्रोत्साहन मिल रहा है।
रेलवे ने एसी टिकट की ऑनलाइन बुकिंग पर 40 रुपये और नॉन एसी टिकट की बुकिंग पर 20 रुपये का सर्विस चार्ज स्थायी रूप से समाप्त करने का प्रपोजल देने की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि ऑनलाइन बुकिंग पर कोई चार्ज न लिया जाए।