नई दिल्ली। कन्फर्म रेलवे टिकट के लिए लोगों का परेशान होना आम बात है। त्योहारों के मौके पर तो समस्या और भी विकट हो जाती है। इसी के मद्देनजर आरक्षण श्रेणी के यात्रियों को रेलवे ने राहत दी है, जिसके तहत इस कोटे में दूरी की पाबंदी खत्म कर दी गई है।
अब पैसेंजरों को कन्फर्म सीट आसानी से मिल पाएगी। इसे लेकर रेलवे बोर्ड में पैसेंजर मार्केटिंग के डायरेक्टर विक्रम सिंह की ओर से जोनल रेलवे के चीफ कमर्शल मैनेजरों को आदेश जारी कर दिया गया है।
जोलन मैनेजरों को कहा गया है कि यह आदेश किसी निर्धारित रूट की जगह पूरे देश के रेलवे रूट की ट्रेनों के लिए है। ऐसे में दूरी की पाबंदी को तत्काल प्रभाव से खत्म किया जा रहा है। सिस्टम में मोडिफिकेशन का काम शुरू कर दिया जाए।
कैसे तय होता था कन्फर्मेशन कोटा ?
लंबी दूरी की ट्रेनों में रिजर्व कोटा दूरी के मुताबिक तय किया जाता है। उदाहरण के लिए, जैसे नई दिल्ली से चेन्नई सेंट्रल तमिलनाडु एक्सप्रेस (12621/22) में रिजर्व कोटे की दूरी की पाबंदी 600 किलोमीटर है। इस ट्रेन का नई दिल्ली के बाद रिजर्व कोटा सीधे भोपाल में है। रास्ते में यह ट्रेन आगरा, ग्वालियर और झांसी रेलवे स्टेशन पर रुकती है। ऐसे में इन बीच के स्टेशनों पर वेटिंग टिकट पुल्ड कोटे में जारी की जाती है। पुल्ड कोटे में टिकट जारी होने के बाद तभी कन्फर्म हो पाती है, जब इस कोटे में टिकट रद्द होती है। अन्य कोटे में टिकट निरस्त होने पर वेंटिंग क्लियर नहीं हो पाती।
अब आसान होगा कन्फर्मेशन
पूरे इंडियन रेलवे में हजारों ऐसी ट्रेनें हैं जिनमें दूरी की पाबंदी है। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूरी की पाबंदी खत्म हो जाने से पैसेंजरों को जनरल वेटिंग दी जाएगी जिससे वेंटिंग टिकट आसानी से कन्फर्म हो जाएंगे। हालांकि, अभी बिना रिजर्व क्लास के यात्रियों को राहत नहीं मिल पाई है।
रियायती टिकट के लिए आधार का विवरण जरूरी
उधर, यात्री आरक्षण प्रणाली से जारी होने वाले रेल टिकटों (काउंटर से जारी होने वाले और ई-टिकट दोनों ही) के लिए आधार आधारित टिकट प्रणाली के पहले चरण की शुरुआत करते हुए भारतीय रेलवे ने वरिष्ठ नागरिकों के आधार कार्ड संबंधी विवरण आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर ऑनलाइन तरीके से अथवा एक दिसंबंर 2016 से आरक्षण केंद्रों के माध्यम से मांगे हैं। 1 जनवरी, 2017 से 31 मार्च, 2017 तक रेल यात्रा में रियायत चाहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह स्वैच्छिक रहेगा लेकिन 1 अप्रैल, 2017 से यह प्रक्रिया अनिवार्य होगी।