राजरंग : भाजपाई स्टार प्रचारकों की परेशानी

bhajpai-star-pracharak

भाजपाई स्टार प्रचारकों की परेशानी

भाजपा के कुछ स्टार प्रचारकों के साथ एक बड़ी समस्या हो गई है. अलग-अलग क्षेत्रों में उनका इस्तेमाल तो किया जा रहा है, लेकिन उनके सामने भाषा की बड़ी समस्या आ रही है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ हिंदी में ही भाषण देते हैं. अंग्रेजी में इन सबके हाथ थोड़े तंग हैं. इन चारों को दक्षिण भारत में ज्यादातर जगहों पर अनुवादक का सहारा लेना पड़ता है. ये हिंदी में बोलते हैं और अनुवादक उसे स्थानीय भाषा में समझाते हैं. इस वजह से कई जगह असली बात अनुवाद की वजह से बिगड़ जाती है. कई जगहों पर लोगों को समझ में नहीं आया, तो वे उठकर जाने लगे. हैदराबाद में योगी आदित्य नाथ की जनसभा की रिपोर्ट है कि स्थानीय नेताओं के भाषण के बाद जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, लोग जाने लगे. एकाध जगह ऐसा भी हुआ कि अनुवादक ही वक्ता की बात नहीं समझ सका और उससे गलत अनुवाद हो गया, जिससे हंसी उड़ गई. पिछले लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में मोदी के भाषण का तेलुगु अनुवाद वेंकैया नायडू करते थे, तो वह अपनी तरफ से भी कुछ बातें जोड़ कर लोगों को समझा लेते थे. अब वैसा नहीं हो पा रहा है.

चुनाव के बाद राज्य सरकरों पर संकट

chunav-ke-baad-rajyaआम चुनाव संपन्न होने के बाद कई राज्यों में हडक़ंप मचने वाला है. सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज है कि लोकसभा के साथ-साथ कई राज्यों में विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव-उपचुनावों का बड़ा असर होने वाला है. कई राज्यों की सरकार गिरने वाली है. तमिलनाडु एवं कर्नाटक सरकार पर सबसे ज्यादा संकट के बादल मंडरा रहे हैं. गोवा सरकार भी संकट में आ सकती है और मध्य प्रदेश सरकार भी गिर सकती है. लेकिन, यह सब चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा. तमिलनाडु में डीएमके नेता एमके स्टालिन ने दावा किया है कि लोकसभा चुनाव के बाद अन्नाद्रमुक सरकार गिर जाएगी. दरअसल, तमिलनाडु में लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा की 18 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उक्त सीटें पिछली बार अन्नाद्रमुक ने जीती थीं, लेकिन उसके विधायक पाला बदल कर वीके शशिकला की पार्टी के साथ चले गए. इसलिए अगर लोकसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक का प्रदर्शन खराब होता है और उपचुनाव में भी वह नहीं जीत पाती है, तो पार्टी में भगदड़ मचेगी और सरकार गिर सकती है. कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस सरकार मामूली बहुमत के दम पर चल रही है. भाजपा को बहुमत के लिए सिर्फ आठ विधायकों की जरूरत है. कहा जा रहा है कि अगर दिल्ली से नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह ने न रोका होता, तो बीएस येदियुरप्पा अब तक सरकार गिरा चुके होते. लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव तक रोका गया है. अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा जीतती है, तो सरकार गिरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. गोवा में लोकसभा की दो सीटों के साथ-साथ विधानसभा की तीन सीटों के लिए उपचुनाव भी हो रहे हैं. अपनी सहयोगी महाराष्ट्र वादी गोमांतक पार्टी तोड़ कर भाजपा ने अपनी संख्या 14 कर ली है, लेकिन अगर लोकसभा एवं विधानसभा उपचुनाव में उसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा, तो पार्टी और गठबंधन, दोनों में भगदड़ मचेगी. मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस सरकार बहुमत से पीछे है और भाजपा उसे गिराने के लिए सही मौके के इंतजार में है. अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत होती है, तो वहां भी सरकार गिरने की संभावना प्रबल है.

क्या करेंगे भाजपा के रिटायर नेता

भाजपा में कई नेता उम्र के कारण रिटायर हो गए हैं, लेकिन उनका राजनीति करने का सपना अभी बरकरार है. कई नेता काफी सक्रिय हैं, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र होने के कारण उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इंदौर से आठ बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन इसकी मिसाल हैं. वह 76 साल की होने वाली हैं, लेकिन उससे पहले ही पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. वह पूरी तरह फिट एवं सक्रिय हैं और उनका चुनाव जीतना लगभग तय माना जा रहा था. लेकिन, भाजपा ने उन्हें रिटायर कर दिया.

Read More : कांग्रेस चेती, भाजपा ने नहीं बदला ढर्रा

मध्य प्रदेश में ही पिछले साल विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल गौर को रिटायर किया था. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, भुवन चंद्र खंडूरी, शांता कुमार, करिया मुंडा, हुकुम देव नारायण यादव, राम टहल चौधरी एवं भगत सिंह कोश्यारी आदि भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें चुनाव नहीं लडऩे दिया. हालांकि, पार्टी में उन्हें पद दिया जा रहा है और उम्मीद है कि इनमें से कई नेताओं को राज्यसभा में भी भेजा जाए, लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने के चलते वे निराश हो गए हैं. उन्हें पार्टी में सक्रिय भूमिका निभाने में भी तकलीफ हो रही है. ऐसे में भाजपा के रिटायर नेता दुविधा में हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि आखिर वे करेंगे क्या.

पसोपेश में अनिल शर्मा

हिमांचल प्रदेश सरकार के मंत्री अनिल शर्मा के साथ बड़ी समस्या हो गई है. एक ओर उनके पिता सुखराम एवं पुत्र आश्रय कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तो वह भाजपा की प्रदेश सरकार में मंत्री बने हुए हैं. उनके पुत्र को कांग्रेस ने मंडी से लोकसभा चुनाव में उतारा है. ऐसे में, उनकी सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह या तो अपने पुत्र के खिलाफ भाजपा के लिए प्रचार करें या फिर भारतीय जनता पार्टी को अलविदा कहकर खुद भी कांग्रेस में शामिल हो जाएं. हालांकि, उन्होंने पार्टी नेतृत्व से अनुरोध किया है कि उनका इस्तेमाल मंडी के अलावा हिमाचल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में किया जाए. पहले तो पार्टी ने उनके इस अनुरोध पर विचार किया, लेकिन अब राज्य इकाई के नेता उन पर मंडी में अपने पुत्र के खिलाफ प्रचार करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा को लग रहा है कि अनिल शर्मा ज्यादा समय तक पार्टी में नहीं रहने वाले हैं. भाजपा के लोग इंतजार कर रहे हैं कि शर्मा खुद मंत्री पद छोड़ दें और पार्टी से किनारा कर लें. दूसरी ओर शर्मा इंतजार कर रहे हैं कि पार्टी उन्हें निकाल दे. पार्टी अगर उन्हें हटा देती है, तो वह कांग्रेस के साथ चले जाएंगे और दलबदल कानून से भी बच जाएंगे.

फंस गए चिराग पासवान

chirag-paswanचुनाव के दौरान नेताओं की जन्म कुंडली निकाली जाती रही है. उनका इतिहास-भूगोल सब खंगाला जाता है. इस बार केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के बारे में भी सवाल उठे हैं. यह कि क्या चिराग पासवान सच में दलित हैं? दरअसल, चिराग की मां रीना पासवान राम विलास की दूसरी पत्नी हैं. बताया जाता है कि रीना पासवान का नाम पहले रीना शर्मा था और वह ब्राह्मण थीं. हालांकि, अब बताया जा रहा है कि वह ब्राह्मण नहीं, बल्कि दलित थीं. सबसे बड़ी परेशानी उनकी शादी और चिराग के जन्म को लेकर है. बताया जा रहा है कि राम विलास की दूसरी शादी 1983 में हुई थी, जबकि चिराग का जन्म 1982 में हो चुका था. इसे लेकर कई जानकारों एवं विभिन्न दलों के नेताओं ने चिराग के दलित होने पर सवाल उठाए हैं. कहा जा रहा है कि अगर चिराग का जन्म शादी से पहले हुआ है और उनकी मां सचमुच ब्राह्मण थीं, तो फिर कानूनी रूप से उन्हें दलित नहीं माना जाएगा. बिहार में इस बात को लेकर घमासान छिड़ा है. चिराग ने लालू प्रसाद के पुत्रों तेजस्वी और तेज प्रताप की उम्र का मामला उठाया, तो पलट कर तेजस्वी ने राम विलास की दूसरी पत्नी का मुद्दा उठा दिया. चुनाव खत्म होने तक इस किस्म के विवाद चलते रहेंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *