ओपिनियन पोस्ट।
राम मंदिर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान में सियासी सरोकार खोजे जा रहे हैं। विजयादशमी कार्यक्रम के मौके पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस अध्यक्ष मोहन भागवत ने सबरीमाला, एससी-एसटी समुदाय, शहरी माओवाद, पाकिस्तान, रक्षा और राम मंदिर मुद्दे पर बड़ी बेबाकी से विचार व्यक्त किए। उन्होंने मंदिर पर राजनीति को खत्म कर इसे तुरंत बनाए जाने की वकालत की और कहा कि जरूरत हो तो सरकार इसके लिए कानून भी बनाए।
एक तरह से भागवत ने 2019 के आम चुनावों से पहले मोदी सरकार को संदेश देने की कोशिश की है कि राम मंदिर को किसी भी तरह बनाया जाना चाहिए। दरअसल, राम मंदिर का निर्माण बीजेपी के लिए हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। घोषणा पत्र में भी अयोध्या में राम मंदिर बनवाने की बात है।
भागवत ने एक बार फिर राम मंदिर बनाए जाने की खुलकर पैरवी की है। उन्होंने कहा है कि सरकार को चाहिए कि वह एक कानून लाकर राम मंदिर का निर्माण सुनिश्चित करे। मंदिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण बनेगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि बाबर ने राम मंदिर को तोड़ा और अयोध्या में राम मंदिर के सबूत भी मिल चुके हैं। अब यह मामला न्यायालय में चल रहा है लेकिन कितना लंबा चलेगा? भागवत ने कहा, ‘इस मामले में राजनीति आ गई इसलिए मामला लंबा हो गया। रामजन्मभूमि पर शीघ्र राम मंदिर बनना चाहिए। इस प्रकरण को लंबा करने के लिए हुई राजनीति खत्म होनी चाहिए।’
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नागपुर में विजयादशमी पर्व मना रहा है। इस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पहले शस्त्र पूजा की और फिर लोगों को संबोधित किया। भागवत ने महात्मा गांधी और गुरु नानक का जिक्र करते हुए भारतीय सेना को मजबूत बनाने की बात कही।
मोहन भागवत ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखने वाले वंचित समूह और प्रताड़ित लोगों को मजबूत करने की बात कही। उन्होंने अर्बन नक्सल की अवधारणा का जिक्र करते हुए कहा कि देश में छोटे आंदोलनों में भारत तेरे टुकड़े होंगे कहने वाले भी दिखाई दिए।
उन्होंने कहा कि चुनाव में मतदान न करना अथवा नोटा के अधिकार का उपयोग करना, मतदाता की दृष्टि में जो सबसे अयोग्य उम्मीदवार है उसी के पक्ष में जाता है। इसलिए राष्ट्रहित सर्वोपरि रखकर 100 प्रतिशत मतदान आवश्यक है। हमारी पहचान हिन्दू पहचान है जो हमें सबका आदर, सबका स्वीकार, सबका मेलमिलाप व सबका भला करना सिखाती है।
इसलिए संघ हिन्दू समाज को संगठित व अजेय सामर्थ्य संपन्न बनाना चाहता है और इस कार्य को सम्पूर्ण संपन्न करके रहेगा। आप सब संघ के स्वयंसेवकों के साथ इस पवित्र ईश्वरीय कार्य में सहयोगी व सहभागी बनते हुए भारत माता को विश्वगुरु पद पर स्थापित करने के लिए भारत के भाग्यरथ को अग्रसर करें।
सबरीमाला पर विरोध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस देवस्थान के संबंध में सैकड़ों वर्षों की परंपरा के स्वरूप व कारणों के मूल का विचार नहीं किया गया। धार्मिक परंपराओं के प्रमुखों का पक्ष, करोड़ों भक्तों की श्रद्धा, महिलाओं का बड़ा वर्ग इन नियमों को मानता है उनकी बात नहीं सुनी गई।