ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो
क्या पंजाब एक बार फिर से उसी काले दौर की ओर जा रहा है जहां से वह निकल कर आया था। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि फिर से सूबे में कट्टरपंथी ताकतें अपनी मुहिम तेज कर रही हैं। इस बार उनकी रणनीति बिल्कुल अलग है। सिख रेफरेंडम 2020 इसी दिशा में एक कदम है। इस जनमत संग्रह के पीछे उनकी सोच है कि सिख युवाओं को अपने साथ जोड़ कर ऐसा माहौल बना दिया जाए कि न चाहते हुए भी सरकार को कोई कदम उठाना पड़े। उनका लक्ष्य साफ है और तरीका भी। पंजाब समेत करीब 20 देशों में यह मुहिम चलाई जा रही है। इसमें सिख धर्म में आस्था रखने वाले लोगों से वोट करने की अपील की जा रही है। इस मुहिम को न्यूयॉर्क में सक्रिय सिख फॉर जस्टिस नामक एक संगठन चला रहा है।
संगठन के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ओपिनियन पोस्ट से वीडियो चैट में दावा किया कि मुहिम को अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, कनाडा समेत 20 देशों में जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। उन्होंने दावा किया,‘हम शांतिपूर्वक अपनी मांग अंतरराष्ट्रीय पटल पर रख रहे हैं। हम बस यह बताना चाह रहे हैं कि पंजाब में सिखों के साथ जो हो रहा है, पंजाब के हितों को ताक पर रखा जा रहा है। इस हालत में अब पंजाब का अलग होना जरूरी है। खालिस्तान हमारी मांग है। इसी को लेकर हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस मुहिम में पंजाब के सिखों खास तौर पर युवाओं का भरपूर साथ मिल रहा है। इसके लिए 12 अगस्त को लंदन में कार्यक्रम किया जा रहा है जिसमें पूरे विश्व से सिख राजनेता एवं अन्य लोग उपस्थित होंगे।’
पन्नू के मुताबिक, पंजाब में शांति और स्थिरता तब होगी जब लोगों को जनमत संग्रह से अपने विचार प्रकट करने की आजादी दी जाए। रेफरेंडम 2020 एक सियासी विचारधारा और शांतिपूर्वक होने वाला कार्यक्रम है। इससे पहले इस संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अप्रैल में हुई कनाडा यात्रा के दौरान वहां के प्रधानमंत्री को एक याचिका देकर अनुरोध किया था कि भारत से आग्रह किया जाए कि पंजाब में स्वतंत्र जनमत संग्रह होने दिया जाए। इसी को लेकर पंजाब में लगातार इस तरह के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इधर, सरकार ने भी इस पर रोक लगाने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने कहा, ‘पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। पुलिस मुख्यालय द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय को पत्र लिख कर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के लिए कहा जाएगा ताकि विदेशों में स्थित सिख फॉर जस्टिस के सदस्यों को पकड़ा जा सके। पंजाब पुलिस इस मामले में इंटरपोल की भी मदद लेने जा रही है। पंजाब की शांति के साथ किसी को भी खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा।’ वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने खालिस्तान को महज कुछ लोगों की सोच करार दिया है। उन्होंने कहा, ‘पंजाब में ऐसा कुछ नहीं होने दिया जाएगा जिससे गड़बड़ी फैले। पंजाब सरकार इस तरह के तत्वों पर रोक लगाने में पूरी तरह से सक्षम है।’ हालांकि उनके इस बयान के बाद पन्नू ने भी एक चिट्ठी लिख कर दावा किया कि पंजाब में यह जनमत संग्रह होकर रहेगा।
क्या है रेफरेंडम 2020
यह एक जनमत संग्रह है। इसमें एक ही सवाल पर वोटिंग कराई जाएगी कि पंजाब को भारत से अलग होना चाहिए या नहीं। इसे लेकर विदेश में बैठे कट्टरपंथी सिख एक साल से लगातार प्रचार कर रहे हैं। कनाडा, अमेरिका और न्यूजीलैंड में बकायदा इसे लेकर सेमिनार आयोजित हो रहे हैं जिसमें वहां रहने वाले सिखों को बताया जा रहा है कि यह मुहिम क्यों जरूरी हो गई है। इसके लिए अलग-अलग देशों का उदाहरण दिया जा रहा है। उन्हें यह भी समझाया जा रहा है कि वहां के नागरिक अपने अधिकारों के लिए एकजुट हुए हैं। हमें भी इसके लिए एकजुट होना होगा। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बताया कि इस प्रस्ताव को पास करा कर हम संयुक्तराष्ट्र में यह मामला लेकर जाएंगे। इसके बाद दबाव बनाया जाएगा कि पंजाब को खालिस्तान के तौर पर मान्यता दी जाए। इस मुहिम के लिए पंजाब में कई जगह पोस्टर भी लगाए गए हैं। ज्यादातर मुहिम सोशल मीडिया पर चल रही है। पन्नू ने दावा किया कि उनके संगठन के फेसबुक पेज को ब्लॉक कर दिया गया है। इस पेज के 85 हजार से अधिक फॉलोअर हैं और इसे भारत में इंटरनेट यूजर नहीं देख सकते हैं। संगठन का दावा है कि उसके फेसबुक पेज को ब्लॉक करना जनमत संग्रह पर भारत सरकार द्वारा रोक लगाने की कोशिश है।
क्या है राजनीति
इसके पीछे सीधी राजनीति है कि कट्टरपंथी सिख संगठन अब यह समझ गए हैं कि सीधे लड़ाई लड़ने से बात बनने वाली नहीं है। इसके लिए अब उन्होंने ऐसा रास्ता चुना है जो उन्हें बिना कुछ किए भी खासी चर्चा में ला रहा है। विदेशों में बसे सिखों पर अध्ययन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार गुलशन कपूर ने बताया, ‘कट्टरपंथी संगठनों को अपना अस्तित्व बचाना है। यदि वे इस तरह की मांग नहीं उठाएंगे तो उनका औचित्य ही खत्म हो जाएगा। इसलिए उन्होंने विदेश में बैठे सिखों को अपने साथ जोड़ा। उन्हें इस तरह से बहकाया जा रहा है कि पंजाब में सिखों के साथ बहुत ही बुरा व्यवहार हो रहा है। पंजाब का पानी बांट दिया गया है। वहां के किसान आत्महत्या कर रहे हैं। सिख धर्म और धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी हो रही है। यह सब इस कौम के लिए बहुत ही चिंता की बात है। इसलिए इसके खिलाफ आवाज उठाई जानी चाहिए। इसके लिए झूठे वीडियो और न्यूज कटिंग का सहारा लिया जा रहा है। इतना ही नहीं, संगठन के सदस्य पंजाब के युवाओं को भड़का कर उन्हें अपनी गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं। उनका टारगेट गांव व छोटे कस्बे के कम पढ़े लिखे युवक हैं। ऐसे युवक जो बेरोजगार हैं उन्हें अपने साथ जोड़ रहे हैं। यह संगठन दावा करता है कि वह सिखों के मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रहा है, इस नाम पर उसे अच्छी खासी फंडिंग मिल जाती है।’
पंजाबी पत्रकार एसएस परवाना ने बताया, ‘इस तरह के संगठन अभी भी सपने देख रहे हैं कि पंजाब में एक बार फिर वे गड़बड़ी कर सकते हैं। ये लोग पाकिस्तान जैसे देशों की शह पर काम कर रहे हैं। उनका सिखों के हितों से कोई वास्ता नहीं है। हकीकत तो यह है कि वे यह सब अपने लिए कर रहे हैं ताकि यह साबित कर सकें कि पंजाब में उन्हें खतरा है। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले अमरिंदर सिंह के खिलाफ सिख फॉर जस्टिस संगठन ने कनाडा की अदालत में याचिका दायर कर टोरंटो और वैंकूवर में प्रस्तावित उनकी एक दर्जन सभाएं रद्द करा दी थी। संगठन ने ऐसे किसी भी व्यक्ति को 10 लाख डॉलर का ईनाम देने का ऐलान किया है जिसकी गवाही पर कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में दोषी करार दिया जाएगा।’ मालूम हो कि सज्जन कुमार को इस मामले में एक अदालत ने बरी कर दिया है।
सुखबीर खैरा का पहले समर्थन
फिर पलटे
रेफरेंडम 2020 का आम आदमी पार्टी के विधायक सुखबीर सिंह खैरा ने पहले समर्थन किया। खैरा ने एक बयान जारी कर कहा कि वे रेफरेंडम के हिमायती नहीं हैं लेकिन लगातार हो रहे भेदभाव के कारण सिख अलग देश की मांग कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने खैरा के बयान को उनकी निजी राय बताते हुए न सिर्फ पल्ला झाड़ लिया बल्कि उनसे स्पष्टीकरण भी मांग लिया। अब खैरा बोल रहे हैं कि उनके बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। सिख राजनीति पर किताब लिख चुकेडॉ. गुरमुख सिंह ने कहा, ‘आप नेता का यह बयान चिंता पैदा करने वाला है। इससे कट्टरपंथी सिखों का उद्देश्य सफल होता नजर आ रहा है। यही तो वे चाह रहे हैं। इस तरह के नेता उनका काम आसान कर रहे हैं। यह अच्छी बात है कि आम आदमी पार्टी ने अपने नेता के इस बयान का कड़ा विरोध किया है। इससे भी बेहतर यह है कि पंजाब की हर पार्टी इसका विरोध कर रही है। कोई भी अब यह नहीं चाहेगा कि पंजाब एक बार फिर से उस दौर में पहुंचे जहां से निकल कर आया है।’ शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का समर्थन करने पर सुखबीर खैरा के खिलाफ तुरंत मामला दर्ज करने की मांग की है।
हालात बिगड़ने नहीं देंगे : सीएम
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि पंजाब के लोग अमन और शांति चाहते हैं। हम किसी भी ऐसी हरकत को बर्दाश्त नहीं करेंगे जो पंजाब के हितों के खिलाफ हो। उन्होंने बताया कि रेफरेंडम 2020 जैसा कुछ नहीं है। यह कुछ लोगों का एक प्रचार भर है। यह देश को बांटने की एक साजिश है। ऐसे लोग पंजाब में अशांति फैलाना चाह रहे हैं। इससे ज्यादा इन लोगों का उद्देश्य कुछ और नहीं है।