सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखों की बिक्री पर बैन हटाया है। कोर्ट ने इकोफ्रेंडली पटाखे की बात कही है लेकिन उसकी पहचान कैसे होगी? जो पटाखे अभी बाजारों में बिक रहे हैं क्या वो इकोफ्रेंडली हैं और अगर नहीं तो उनका क्या होगा? क्या लोगों को तय समय सीमा में पटाखे जलाने तक सीमित रखा जा सकता है? ऐसे कई सवाल है जिनके जवाब अब प्रशासन और जांच एजेंसियो को देंने होंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में पटाखों पर से यह कहते हुए बैन हटा दिया कि पटाखों के निर्माताओं और विक्रेताओं के अपनी आजीविका चलाने के संवैधानिक अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता लेकिन देश की जनता के हित और सेहत को भी ध्यान में रखते हुए कुछ शर्तों के साथ यह बैन हटाया जा रहा है।
कोर्ट ने एक निश्चित तय समयसीमा सिमा (शाम 8 बजे से रात 10 बजे तक) में लौ एमिशन पटाखों को जलाने की अनुमति दी है। इसके अलावा PESCO (Petroleum and Explosives Safety Organisation) को ये जिम्मेदारी दी गई है कि वे बाजारों में में पहुंचने वाले पटाखों के पॉल्युशन एमिशन लेवल को चेक करे और पहले से बाजारों में मौजूद पटाखों की भी जांच की जाए।