केरल लव जेहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया और शफीन की शादी को वैध बताया है। शीर्ष अदालत ने शादी रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए इस मामले में एनआईए की जांच को जारी रखा है। ये फैसला प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दिया।
दरअसल, शफीन जहां के वकील कपिल सिब्बल ने शादी रद्द करने के हाई कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया था, जबकि हदिया के पिता के वकील श्याम दीवान का कहना था कि हाई कोर्ट को धोखा देने के लिए जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई। इस मुद्दे पर केस की जांच कर रही एनआईए ने कहा कि लड़कियों को धर्म परिवर्तन करवाने का तंत्र केरल में सक्रिय है।
हादिया के पिता ने शीर्ष अदालत में दावा किया था कि उनकी कोशिशों से ही उनकी बेटी को चरमंथियों के नियंत्रण वाले सीरिया के इलाके में भेजने से रोका जा सका है। उनका दावा है कि उनकी बेटी को वहां यौन गुलाम या मानव बम के रूप में इस्तेमाल किया जाना था।
हदिया के पिता के एम अशोकन ने नए हलफनामे में दावा किया कि उनकी पुत्री कमजोर वयस्क है और उसने सहजता से ही खुद को अंजानों के समक्ष समर्पित कर दिया जिन्होंने उसे अपने साथ करके रहने की जगह दी और संरक्षण प्रदान किया।
हदिया पहले ही शीर्ष अदालत में कह चुकी है कि उसने अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल करके शफीन से शादी की है और वह अपने पति के साथ ही रहना चाहती है। शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी को सवाल किया था कि क्या हाईकोर्ट दो वयस्कों द्वारा स्वेच्छा से की गई शादी को अमान्य घोषित कर सकता है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले, पिछले साल 27 नवंबर को हदिया को उसके माता पिता की देख रेख से मुक्त करते हुए उसे तमिलनाडु के सलेम के एक कालेज में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिये भेज दिया था।
बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने इसे लव जिहाद का उदाहरण बताते हुए हदिया की शादी को अमान्य कर दिया था। इसके बाद ही उसका पति होने का दावा कर रहे शफीन जहां ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।