ओपिनियन पोस्ट ब्यूरो।
कांची मठ के 69वें प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को तमिलनाडु के कांचीपुरम में देहावसान हो गया। कांची कोमकोटि पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती स्वामिगल 82 वर्ष के थे। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उन्हें सांस लेने की तकलीफ के चलते बुधवार को कामाक्षी अम्मान मंदिर के नजदीक एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था। शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को मठ परिसर के भीतर नंदवनम में उनके पूववर्ती चंद्रशेखर सरस्वती स्वामीगल के समीप कल महासमाधि दी जाएगी। उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक जताया है।
मठ के वरिष्ठ प्रबंधकों ने कांचीपुरम में संवाददाताओं को बताया कि देश के सबसे प्राचीन मठ के 69वें धर्म गुरु के पार्थिव शरीर को कल सुबह तक जनता के दर्शनार्थ रखा जाएगा। सुबह आठ बजे मठ में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी और शंकराचार्य के पार्थिव शरीर का अभिषेक किया जाएगा। उसके बाद उन्हें नंदवनम में महा समाधि दी जाएगी।
कांची मठ दक्षिण भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह पांच पंचभूतस्थलों में से एक है। यहां के मठाधीश्वर को शंकराचार्य कहते हैं। जयेन्द्र सरस्वती के निधन के बाद अब कांची मठ में शंकरा विजयेन्द्र सरस्वती को शंकराचार्य नियुक्त किया जाएगा. विजयेन्द्र सरस्वती कांची मठ के 70वें मठप्रमुख होंगे।
कांची कोमकोटि पीठ के प्रमुख जयेंद्र सरस्वती को सांस लेने में तकलीफ के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। पिछले साल से ही उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। कई स्कूलों, नेत्र चिकित्सालयों तथा अस्पतालों का संचालन करने वाले कांची कामकोटि पीठ की स्थापना पांचवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी तथा जयेंद्र सरस्वती इसी के मौजूदा प्रमुख थे। उन्हें 22 मार्च, 1954 को श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित कर श्री जयेंद्र सरस्वती की उपाधि दी गई थी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक जताते हुए ट्वीट कर कहा, “कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के निधन की खबर सुनकर दुख हुआ। हमारे देश ने एक आध्यात्मिक नेता और सामाजिक सुधारक खो दिया है। मेरी संवेदनाएं उनके असंख्य शिष्यों और अनुयायियों के साथ हैं।”
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दुख जाहिर करते हुए ट्वीट किया कि कांची पीठाधिपति जयेंद्र सरस्वती को मेरी श्रद्धांजलि। उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। मानव कल्याण और आध्यात्मिकता के प्रसार में उनका योगदान अन्य लोगों के लिए हमेशा प्रेरणा बना रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांची मठ के प्रमुख शंकराचार्य के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए शोक जताया। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ”श्री कांची मठ के आचार्य जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के जाने से दुख हुआ। वह अपने लाखों भक्तों के दिलों में उच्च विचारों के जरिए हमेशा रहेंगे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती समाजिक सशक्त बनाने के लिए सबसे आगे रहे। उन्होंने ऐसी संस्था को पालकर बड़ा किया, जिसने गरीबों और निचले तबके की जिंदगी बदलने का काम किया।”
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “मैं कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु पूज्यश्री जयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य के निधन की खबर सुनकर दुखी हूं। उन्हें दुनियाभर में उनकी शिक्षाओं के लिए लाखों भक्तों द्वारा पूजा गया।“
जयेंद्र सरस्वती पर वर्ष 2004 में कांचीपुरम मंदिर के एक कर्मचारी की हत्या के मामले में आरोपित किया गया था, लेकिन नौ साल बाद उन्हें तथा अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया गया था।