वो फिर नहीं आई, उसके ना होने की खबर आई… अलविदा शकीला

निशा शर्मा।

गुजरे जमाने की खूबसूरत अभिनेत्री शकीला ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। खबरों के मुताबिक शकीला की हार्ट अटैक के चलते मौत हुई।

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शकीला ने जिस समय फिल्मों में कदम रखा था उस समय उनकी खूबसूरती के लोग दिवाने थे। कहा जाता है कि वह एक परी की तरह दिखतीं थी। शकीला ने फिल्मों में उस समय दस्तक दी जब देश आजाद ही हुआ था। हालांकि उन्हें पहचान मिली करीब चार साल बाद 1954 में आई गुरुदत्त की फिल्म आर-पार के गीत बाबूजी धीरे चलना से। शकीला लोगों की नजरों में ही नहीं आई बल्कि इस गीत से सिनेमा प्रेमियों के दिलों में बस गई।

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एक जनवरी 1935 को जन्मी शकीला की बड़ी बहन फिल्मों में काम किया करतीं थी। बड़ी बहन का नाम था नूरजहां जिन्होंने बाद में मशहूर कॉमेडियन जॉनी वॉकर से विवाह किया। कहते हैं कि एक बार शकीला अपनी बहन नूरजहां की फिल्म की शूटिंग देखने सेट पर गई थीं। उस समय नूरजहां की फिल्म महबूब खान बना रहे थे, उन्होंने जब शकीला को देखा तो वह उन्हें फिल्मों के लिहाज से अच्छी लगी। महबूब खान ने फिल्म दास्तान के लिए शकीला के नाम की सिफारिश की। जिसके बाद शकीला ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट इस फिल्म में काम किया के तौर पर अभिनय करने को मिला। इस फिल्म में हीरो की भूमिका में राजकपूर थे। फिल्म दास्तान ने जो शकीला का सफर राजकपूर के साथ शुरु किया वह सफर फिर एक जगह आकर दोबारा जुड़ा। 1960 में फिल्म श्रीमान सत्यवादी में शकीला को राजकपूर की नायिका के तौर पर अभिनय करने का मौका मिला, यह सब इसलिए हुआ क्योंकि शकीला के अभिनय का जलवा सिनेमा जगत में दिखने लगा था।

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वह दौरा शकीला के लिए थोड़ा मुश्किल भरा जरुर था क्योंकि जब शकीला ने फिल्म जगत में कदम रखा था उस समय मीना कुमारी भी फिल्मों में थी और स्टंट फिल्मों से प्रेमिका की भूमिका में आने की कोशिश कर रहीं थी। हालांकि सब अभिनेत्रियों को पछाड़ती हुई शकीला ने अपना मुकाम खुद बनाया। खूबसरती और अदाकारी उनके पास दोनों चीजें थी जिसके जरिये उन्हें दर्जनों फिल्में मिली। उनका अभिनय ही था कि गुरुदत्त साहब ने शकीला को फिर अपनी फिल्म में मौका दिया इस बार वह साइड रोल में नहीं बल्कि मुख्य भूमिका में देवानंद के साथ थीं।

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सीआईडी की सफलता के बाद शकीला ने बुलंदियों पर कदम रख लिया था, बुलंदियों की सीढ़ियों पर हर कोई चाहता था कि इस अदाकारा के साथ वह फिल्म करे। उसमें फिर चाहे वह अभिनेता हो, निर्देशक हो या फिर निर्माता ही क्यों ना हो। राजकपूरस देवानंद के अलावा फिल्म पोस्ट बॉक्स 999 में सुनील दत्त साहब के साथ, टावर हाउस में अजीत के साथ। काली टोपी लाल रुमाल में चंद्रशेखर के साथ, शम्मी कपूर से साथ फिल्म चाइना टाउन में वो दिखीं। यह वो सब बड़े नाम हैं जिनके साथ अभिनेत्रियां काम करने के लिए तरसती थीं, सिनेमा के चरम पर पहुंचकर शकीला ने निकाह करने की सोची। यह एक ऐसा निर्णय था जो उनका अभिनय करियर खत्म कर सकता था लेकिन शकीला ने इसकी परवाह नहीं की और एक एनआरआई से  निकाह कर वह विदेश में बस गईं और फिर नहीं लौटीं, अगर आज कुछ लौटा है तो उनके वतन में उनके निधन की खबर आई है।खैर, फिल्म आर-पार की गेस्ट अपियरंस हो, सीआईडी की नायिका हो या चाइना टाउन की अभिनेत्री लोगों के जहन में आज भी ना होने के बाद भी अपने अभिनय की बदौलत जिंदा है और रहेंगी…

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