वॉशिंगटन।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरिक्ष में दबदबे को बनाए रखने के लिए स्पेस फोर्स नाम की नई सैन्य यूनिट के गठन को अनुमति दी है। स्पेस फोर्स का जिक्र अब तक फिल्मों, उपन्यासों और कॉमिक्स में हुआ करता था, लेकिन जल्द ही यह हकीकत बनने जा रहा है। हॉलीवुड की ब्लॉक बस्टर मूवी अवतार में ऐसी ही एक स्पेस फोर्स की झलक दिख चुकी है।
ट्रंप ने पेंटागन को स्पेस फोर्स तैयार करने का आदेश भी दे दिया है। उनका कहना है कि यह फैसला अमेरिका की निजी सुरक्षा को देखते हुए किया गया है। अमेरिकी मीडिया की मानें तो टंप ने यह फैसला अंतरिक्ष में रूस और चीन के बढ़ते खतरे के मद्देनजर किया है। रूस के पास भी ऐसी ही फोर्स है, जिसका बाद में उसने एयरफोर्स में विलय कर दिया था।
डोनाल्ड टंप ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष परिषद में कहा, “जब अमेरिका की रक्षा करने की बात आती है तो अंतरिक्ष में केवल हमारी मौजूदगी ही काफी नहीं है। अंतरिक्ष में भी अमेरिका का दबदबा होना चाहिए। इसलिए मैंने पेंटागन को स्पेस फोर्स तैयार करने का आदेश दिया है। अमेरिका की एयरफोर्स की तरह ही स्पेस फोर्स होगी, लेकिन यह उससे अलग होगी।”
अमेरिकी सेना की छठवीं शाखा होगी स्पेस फोर्स
अमेरिका के पास आर्मी, एयरफोर्स, मरीन, नेवी और कोस्ट गार्ड हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका इस फोर्स के साथ भविष्य में अंतरिक्ष में लड़ी जाने वाली किसी भी लड़ाई के लिए तैयारी कर सकेगा। स्पेस ऑपरेशन में निगरानी के लिए इस फोर्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्पेस फोर्स की जरूरत क्यों
द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष में रूस और चीन ऐसी तकनीक और हथियारों को विकसित कर रहे हैं जो अमेरिकी सैटेलाइट्स से निपट सकें। इन दोनों देशों के अंतरिक्ष में बढ़ते दखल के मद्देनजर पेंटागन भी चिंतित है। यही वजह है कि ट्रंप ने स्पेस फोर्स बनाने का आदेश दिया है।
2007 में चीन ने उम्र पूरी कर चुके एक सैटेलाइट को उड़ाने के लिए पृथ्वी से मिसाइल दागी थी। इससे अमेरिका नाराज हुआ था। इसके बाद 2013 में फिर चीन ने पृथ्वी की कक्षा में ऐसी जगह रॉकेट दागा, जिससे दूसरे देशों के सैटेलाइट्स को खतरा हो सकता था।
2014 में चीन ने अमेरिका के मौसम सैटेलाइट को हैक कर लिया था। हाल ही में रूस ने दूसरे देशों के दो सैटेलाइट के बीच से अपना एक सैटेलाइट निकाला। बाद में इसे एक तीसरे देश के सैटेलाइट के बेहद करीब स्थापित कर दिया।
अमेरिकी संसद की सशस्त्र सेवा उपसमिति के अध्यक्ष माइक रॉजर्स का कहना है कि भविष्य में जंग अंतरिक्ष में ही लड़ी जाएगी। रूस और चीन हमसे अंतरिक्ष की क्षमताओं में आगे निकल रहे हैं। इसलिए हमें अलग स्पेस फोर्स की जरूरत है।