लखनऊ। सपा के 191 उम्मीदवारों की सीटों पर गौर करें तो गाजियाबाद की सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि गठबंधन होने पर कांग्रेस इस अहम क्षेत्र की किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएगी। यही नहीं, उन सीटों पर भी सपा के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं जिन पर पिछली बार कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।
कांग्रेस की सिटिंग स्वार सीट से आजम खान के बेटे को सपा का टिकट मिला है जबकि इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर नवाब काजिम अली जीते थे, जो हाल में बसपा में चले गए। कांग्रेस रामपुर जिले की इस सीट को छोड़ने को तैयार थी, लेकिन उसके बदले में चमरौआ सीट चाहती थी। सपा ने दोनों सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।
अखिलेश यादव की लिस्ट में मथुरा, खुर्जा, हापुड़, शामली, स्याना, स्वार-टांडा पर सपा ने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। मथुरा से कांग्रेस के सीएलपी प्रदीप माथुर चार बार से विधायक रहे हैं, तो खुर्जा से बंशी पहाड़िया, हापुड़ से गजराज सिंह और शामली से पंकज मलिक कांग्रेस के विधायक हैं। स्याना से कांग्रेस विधायक दिलनवाज खान हाल ही में पार्टी छोड़ दी और अब बसपा में शामिल हो चुके हैं।
नोएडा, गाजियाबाद की सीटें भी अखिलेश यादव ने नहीं छोड़ीं, जबकि यहां की शहरी सीटें कांग्रेस मांग रही थी। वहीं मेरठ में भी सीटें घोषित कर कांग्रेस को झटका दिया गया है क्योंकि यहां भी कांग्रेस की नज़र शहरी सीट पर थी। यही वजह है कि लिस्ट के सार्वजनिक होते ही कांग्रेस-सपा गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। माना जा रहा है कि या तो गठबंधन की बात टूट गई है या अखिलेश कांग्रेस को दबाव में लेकर अपनी बात मनवाना चाहते हैं।
अखिलेश की लिस्ट में 39 दलित उम्मीदवार हैं तो 50 मुस्लिम। शिवपाल यादव को जसवंत नगर इटावा से टिकट दिया गया है, लेकिन वह अब भी चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। मुलायम ने उनसे बात की है। शिवपाल यादव और बेनी प्रसाद वर्मा के बेटों को टिकट नहीं मिला है पर आजम खान और नरेश अग्रवाल के बेटे लिस्ट में हैं। बेनी के बेटे राकेश वर्मा रामनगर से दावेदार थे, लेकिन उनकी जगह अखिलेश के करीबी अरविंद गोप को टिकट मिला है। आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को रामनगर, स्वार से टिकट मिला है जबकि नितिन को हरदोई से।