ओपिनियन पोस्ट।
देश में पहली बार 27 अगस्त को जैव ईंधन से चलने वाले विमान ने देहरादून से उड़ान भरकर दिल्ली में लैंड किया। विमानन कंपनी स्पाइस जेट के टर्बोपोर्प क्यू 400 विमान को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट से फ्लैग ऑफ किया। इसके बाद विमान ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी, जो सफल रही। यह जैव ईंधन जटरोफा के तेल और हाइड्रोजन के मिश्रण से बनाया गया है। इसके उपयोग से जैव जेट ईंधन की लागत कम बैठती है।
इस उड़ान के लिए इस्तेमाल ईंधन 75 प्रतिशत एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) और 25 प्रतिशत बायोफ्यूल का मिश्रण था। एटीएफ की तुलना में बायोफ्यूल के इस्तेमाल का फायदा यह है कि इससे जैव कॉर्बन उत्सर्जन घटता है और ईंधन दक्षता बढ़ती है।
इस फ्यूल का विकास सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया है। परीक्षण उड़ान पर करीब 20 लोग सवार थे। इनमें नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और स्पाइसजेट के अधिकारी शामिल रहे। एयरलाइन के एक अधिकारी ने बताया कि यह उड़ान करीब 25 मिनट की थी।
इसी के साथ जैव ईंधन से विमान उड़ाने वाले चुनिंदा देशों की कतार में भारत भी शामिल हो गया है। स्पाइसजेट ने अपने 72 सीटर क्यू400 टर्बो प्रॉप विमान के जरिये देहरादून से दिल्ली के बीच सफल उड़ान भरकर भारतीयों को तोहफा दिया है।
देहरादून में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने विमान को रवाना किया और दिल्ली में आईजीआई के टर्मिनल 2 पर केंद्रीय मंत्रियों सुरेश प्रभु, नितिन गडकरी, धमेंद्र प्रधान, डॉ. हर्षवर्द्धन और जयंत सिन्हा ने इसकी अगवानी की।
इस बायोफ्यूल के लिए आईआईपी में प्लांट लगाया गया है। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में कमर्शियल विमान पहले से ही जैव ईंधन से उड़ान भर चुके हैं। इस साल जनवरी में आस्ट्रेलियाई कैरियर क्वांटास के ड्रीमलाइनर बोइंग 787-9 विमान ने लॉस एंजिलिस और मेलबर्न के बीच उड़ान भरी थी। 15 घंटे की उड़ान के लिए मिश्रित ईंधन का उपयोग किया गया था। इसमें 10 प्रतिशत जैव ईंधन मिलाया गया था।
साल 2011 में अलास्का एयरलाइंस ने जैव ईंधन से चलने वाले कुछ विमान शुरू किए थे, जिसके ईंधन में 50 फीसद खाद्य तेल का इस्तेमाल किया गया था। इसके साथ-साथ केएलएम ने भी साल 2013 में कुछ जैव ईंधन विमान न्यूयॉर्क और एम्सटर्डम में शुरू किए थे।
जैव ईंधन से उड़ान भरने वाले स्पाइस जेट के फ्लैग ऑफ के अवसर पर महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्य मंत्री रेखा आर्या, आईआईपी के निदेशक अंजन कुमार रे, स्पाइस जेट से जीपी गुप्ता, कैप्टन सतीश चन्द्र पांडे एवं आईआईपी के वैज्ञानिक उपस्थित थे।
दरअसल, भारत तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। इसीलिए जैव ईंधन को प्रचारित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 10 अगस्त 2018 को जैव ईंधन दिवस के मौके पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति जारी की थी, जिसके अनुसार आनेवाले चार सालों में एथेनॉल का उत्पादन तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अगर ऐसा होता है तो तेल आयात के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये तक बचाए जा सकते हैं।