प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना सख्त रवैया बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने अॉटो कंपनियों को बीएस-3 मानक वाले वाहन बेचने की छूट देने से इनकार कर दिया है। पहली अप्रैल 2017 से इन वाहनों की बिक्री पर पाबंदी लगाई गई थी जिसमें राहत देने की अॉटो कंपनियों ने अदालत से गुहार लगाई थी। अॉटो कंपनियों की दलील थी कि बीएस-3 मानक वाले वाहनों का उनके पास कॉफी स्टॉक बचा है इसलिए स्टॉक को खत्म करने के लिए कुछ मोहलत दी जाए, नहीं तो उन्हें काफी नुकसान होगा। मगर अदालत ने साफ कर दिया कि कंपनियों के नुकसान से ज्यादा अहम लोगों का स्वास्थ्य है और इसे ताक पर नहीं रखा जा सकता। केंद्र सरकार ने भी ऑटोमोबाइल कंपनियों के स्टॉक की ब्रिकी का समर्थन किया था लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
जस्टिस मदन लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने यह आदेश बुधवार को दिया। अदालत ने अॉटो कंपनियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब उन्हें काफी पहले से पता था कि पहली अप्रैल 2017 से बीएस-4 मानक वाले वाहनों को बेचने की अनुमति होगी तो उन्होंने बीएस-3 वाहनों का उत्पादन बंद क्यों नहीं किया और स्टॉक खत्म करने के इंतजाम क्यों नहीं किए। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सीधे-सीधे स्वास्थ्य से जुड़ा है और ऐसे मामले में हम कंपनियों के फायदे के लिए लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में नहीं डाल सकते। मालूम हो कि बीएस-3 मानक वाले वाहन बीएस-4 मानक वाले वाहनों की तुलना में ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। अॉटो कंपनियों के पास इस समय बीएस-3 वाले करीब 8.2 लाख वाहनों का स्टॉक बचा है। अब अॉटो कंपनियों के लिए एक ही रास्ता बचा है कि इन वाहनों का उन देशों में निर्यात करे जहां बीएस-3 मानक अभी लागू है। अन्यथा उनके लिए यह कबाड़ ही है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों से स्टॉक में मौजूद बीएस-3 गाड़ियो की डिटेल्स मांगी थी। कोर्ट ने कंपनियों से दिसंबर 2015 के बाद से हर महीने की बीएस-3 गाड़ियों की मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा भी मांगा था। आंकड़ों के मुताबिक पैसेंजर व्हीकल्स में 20,000, टू-व्हीलर्स में 7.5 लाख, थ्री व्हीलर्स में 4,500 और कमर्शियल व्हीकल्स में करीब 75 हजार बीएस-3 के वाहन हैं।
कंपनियों ने नोटिफिकेशन क्लियर न होने का भी आरोप सरकार पर लगाया। 1 जनवरी 2014 को सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था। कार कंपनियों का कहना है कि ये नोटिफिकेशन स्पष्ट नहीं है। यह फैसला ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए बड़ा झटका है। पाबंदी लगने से कंपनियों को करोड़ो रुपये का नुकसान हो सकता है। कुछ समय पहले देश की सबसे बड़ी दोपहिया कंपनी हीरो मोटो कॉर्प ने दावा किया था कि बीएस-3 वाहन पर पाबंदी लगने से उसे 1600 करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है।