सुशील कुमार का रियो ओलंपिक का सपना टूट गया है। रियो ओलंपिक में भागीदारी को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे पहलवान सुशील कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा कि वह फेडरेशन के फैसले में दखल नहीं देगा। कोर्ट का फैसला सुनने के बाद सुशील कुमार के वकील ने कोर्ट को कहा कि उन्हें अपनी याचिका वापस लेने दी जाए लेकिन कोर्ट ने कहा कि अब आर्डर साइन हो चुका है लिहाजा याचिका अब वापस नहीं की जा सकती।
बता दें कि सुशील कुमार ने याचिका दी थी कि रियो ओलंपिक के लिए चुने गए नरसिंह यादव के साथ ओलंपिक में जाने से पहले दोनों का मुकाबला कराया जाए। सुशील का आरोप था कि रेसलिंग फेडरेशन ने भेदभाव से नरसिंह यादव को सेलेक्ट किया है।
सुशील के वकील ने कोर्ट को कहा कि इंटरनेशनल रेसलिंग में सुशील के कामयाब होने के चांस ज्यादा हैं। वो अकेला भारतीय रेसलर है जिसने गोल्ड मेडल भारत के लिए जीता है। नरसिंह के पास वो अनुभव नहीं है जो सुशील के पास है, इसलिए अगर रियो ओलंपिक में सुशील को भेजा जाता है, तो भारत के जीतने के चांस बढ़ जाएंगे।
रेसलिंग फेडरेशन ने कहा कि 2015 से सुशील कुमार ने किसी ट्रायल में भाग ही नहीं लिया। सुशील कुमार की तैयारी नरसिंह यादव से बेहतर नहीं है। नरसिंह यादव सितंबर 2015 से तैयारी कर रहा है।
दूसरी ओर इस बारे में 26 साल के नरसिंह का कहना था, “2007 से लेकर अब तक 74 किलोग्राम वर्ग में कई मेडल जीते हैं। लॉस वेगास में जीत के साथ ही मुझे रियो का टिकट मिला। मेरी दावेदारी पहले ही पक्की हो चुकी है।”
दिल्ली हाई कोर्ट के सोमवार के आदेश के बाद साफ हो गया कि पहलवान सुशील कुमार और नरसिंह यादव के बीच रियो ओलंपिक में भारत के तरफ से कौन जाएगा।