नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी की तकरार चुनाव आयोग पहुंचने से पार्टी के चुनाव निशान साइकिल को फ्रीज किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में पार्टी के नेता खासतौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्या करेंगे। इस संदर्भ में दो विकल्पों की चर्चा है। पहला पार्टी में सुलह हो सकती है। दूसरा पार्टी के दोनों धड़े अलग-अलग चुनाव निशान के साथ विधान सभा चुनाव में उतरेंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव आयोग अखिलेश और मुलायम में किसी को भी साइकिल की सवारी नहीं करने देगा। ऐसे में हर किसी के जेहन में सवाल है कि पिता का तख्तापलट करने वाले अखिलेश का चुनाव निशान के लिए अगला कदम क्या होगा ?
सपा के अखिलेश गुट के नेताओं ने संकेत दिए हैं कि उन्होंने चुनाव निशान को लेकर प्लान ‘बी’ और ‘सी’ भी बना रखा है। मुलायम सिंह यादव की ओर से सोमवार को चुनाव आयोग के सामने साइकिल चुनाव चिन्ह पर दावा ठोंकने के बाद मंगलवार को अखिलेश यादव भी इसी चुनाव चिन्ह को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
अखिलेश के पक्षकारों का कहना है कि उनकी प्राथमिकता में साइकिल को हासिल करना है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो इसके लिए तैयारी पहले से की जा चुकी है। सपा प्रवक्ता जूही सिंह ने भी संकेत दिया है कि पूरी तैयारी कर ली गई है।
सपा के सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तय कर लिया है कि अगर चुनाव आयोग उन्हें साइकिल निशान नहीं देता है तो वे इस बार के विधानसभा चुनाव में मोटरसाइकिल को अपनी पहचान बना सकते हैं।
चर्चा है कि अखिलेश नीरज शेखर की ओर से रजिस्टर कराई गई पार्टी समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) की छांव में जा सकते हैं। इस पार्टी का चुनाव चिन्ह वट वृक्ष है। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश खुद और अपने समर्थकों को सजपा में शामिल कराकर विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त केजी राव का कहना है कि अगर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच सपा का चुनाव चिन्ह लेने के लिए होड़ मचती है तो आयोग इसे फ्रीज कर देगा। यानी यूपी विधानसभा चुनाव में कोई भी साइकिल चिन्ह प्रयोग नहीं कर सकेगा। ऐसे में अखिलेश या मुलायम किसी दूसरे चिन्ह पर चुनाव में प्रत्याशी उतार सकते हैं।
केजी राव का कहना है कि अगर किसी पार्टी का एकाध नेता अलग होकर दूसरी पार्टी से चुनाव में उतरता है तो आयोग इसकी इजाजत दे सकता है। लेकिन अगर बहुत सारे नेता एक साथ किसी पार्टी को तोड़कर किसी दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं और उसके चुनाव चिन्ह का प्रयोग करते हैं तो आयोग इस पर आपत्ति जता सकता है।
ऐसे में कहा सकता है कि साइकिल का निशान नहीं मिलने पर अखिलेश यादव मोटरसाइकिल के चुनाव चिन्ह को अपनाने का विकल्प अपना सकते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर चर्चा है कि अखिलेश लैपटॉप या मोबाइल फोन को अपना चुनाव चिन्ह बना सकते हैं।