नई दिल्ली।
टेलिकॉम कंपनी एयरसेल दीवालिया होने की स्थिति में आ गई है। कंपनी ने खुद इसके लिए अर्जी दी है। ऐसे में कंपनी बंद होने के साथ ही सभी सर्किलों में इसकी सेवाएं भी बंद हो जाएंगी। इससे कंपनी के 5000 कर्मचारी मुश्किल में पड़ जाएंगे।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कंपनी ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवालिया होने की अर्जी दी है। कंपनी ने अर्जी देने से पहले ही अपने बोर्ड को भंग कर दिया है। दीवालिया घोषित होने के बाद एयरसेल कंपनी के तौर पर खत्म हो जाएगी।
इसके बाद बाजार में एयरटेल, जियो, वोडाफोन, आइडिया ही बाकी रह जाएंगी। इनके अलावा दो सरकारी कंपनी एमटीएनएल और बीएसएनएल होंगी। वहीं, आइडिया-वोडाफोन का मर्जर पूरा होने पर टेलिकॉम मार्केट में सिर्फ तीन खिलाड़ी रह जाएंगे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कंपनी दीवालिया होने से बच सकती थी। मलेशिया की पैरेंट कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल में निवेश करने का मन बनाया था, लेकिन बाद में उसने अपना इरादा बदल दिया।
गौरतलब है कि कंपनी अपने कर्जदारों से सितंबर से 15,500 करोड़ रुपये के कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने की बातचीत कर रही है। कंपनी के एक सूत्र के मुताबिक, बिजनेस चलाने के लिए कंपनी के पास कैश नहीं है। इस हफ्ते के अंत तक कंपनी सैलरी का भुगतान भी बंद कर सकती है। वहीं, एयरसेल ने इस खबर पर कुछ भी कहने से इनकार किया है।
एयरसेल ने पिछले सितंबर के बाद से बैंकों को कर्ज की किस्त नहीं चुकाई है। इसी कारण कंपनी का कर्ज रिस्ट्रक्चर नहीं हो पाया। रिजर्व बैंक के सभी डेट रीस्ट्रक्चरिंग स्कीम पर पाबंदी लगाने की वजह से एयरसेल को यह फैसला करना पड़ा।
एयरसेल को हर महीने 400 करोड़ रुपये की कमाई होती है, जिसमें से 100 करोड़ रुपये का भुगतान दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को टर्मिनेशन चार्ज के तौर पर करना पड़ता है। वहीं, 280 करोड़ रुपये वेंडर्स और नेटवर्क अपटाइम के लिए चुकाने होते हैं।
बाकी का पैसा लाइसेंस फी, टैक्स और इंट्रेस्ट पेमेंट में जाता है। आइडिया को तीन महीने का 60 करोड़ रुपये का इंटरकनेक्ट चार्ज भी एयरसेल ने नहीं चुकाया था, इसलिए वह कंपनी को यह सर्विस नहीं दे रही है।