उत्तरी तंजानिया एक ऐसा देश है जहां आदिवासी समुदाय सुकुमा में लड़कियों के अपहरण का मां-बाप इंतजार करते हैं। जिस लड़की का अपहरण किसी पुरुष द्वारा नहीं होता उसे दुर्भाग्य का सूचक मानते हैं। सुनने में भले ही यह अटपटा लगे मगर यह सच है। यह सब हो रहा है एक परंपरा के नाम पर। ‘कुपुरा’ नाम की यह परंपरा यहां कानूनी है।
इस समुदाय की लड़कियों पर अगर इसी समुदाय के लड़के का दिल आ गया तो वह उसका अपहरण कर बलात्कार करता है। फिर उसके मां बाप को सूचित करता है। मां-बाप लड़की के गुम होने की खबर पुलिस में न देकर उस लड़के की तरफ से सूचना आने का इंतजार करते हैं। मां-बाप लड़के से उस लड़की के बदले दहेज मांगते हैं। गाय, या दूसरे मवेशी या फिर नकद रकम। और हैरान करने वाली बात यह है कि वहां यह परंपरा गैर कानूनी न होकर कानूनी है। रिवकैटस इटेनडेलेबान्या नाम की एक महिला ने बताया कि दरअसल शराब, मांस और सेक्स के लिए पुरुषों ने इस परंपरा को जिंदा कर रखा है। इटेनडेलेबान्या कहती हैं ‘अगर किसी लड़की का अपहरण नहीं होता तो उसे डाक्टर के पास ले जाया जाता है। उसके स्तन का ऊपरी हिस्सा और हाथ कटवाए जाते हैं ताकि वह किसी बुजुर्ग के लिए सेक्स का साधन बन सके। इस प्रक्रिया को भी ‘सांबा’ नाम की परंपरा का नाम दिया गया है।
मसांजा नाम की एक लड़की ने बताया कि वह जब 12 साल की थी उसका अपहरण हो गया था। एक महीने तक वह उस लड़के के साथ रही। उसका रोजाना बलात्कार होता रहा। एक माह बाद उसके पिता को सूचना दी गई। पिता ने 12 गाएं लेकर उसे उसी लड़के को बेच दिया। मसांजा कहती हैं ‘जब वह उन गायों को देखती है तो उन्हें गुस्सा आता है, वह महीना याद आता है जब उनके साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया गया।’वह कहती है कि काश मैं लड़की न होकर गाय होती। युगांडा के क्रिश्चियन मुगारुरा नाम के मशहूर लेखक ने इस परंपरा पर कैश काउ नाम से एक ग्राफिक उपन्यास भी लिखा गया है।