सीतामढ़ी एवं पूर्वी चंपारण जिले के बीच स्थित शिवहर में लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं. एनडीए और महागठबंधन की ओर से संभावित प्रत्याशियों ने जनता दरबार में गुहार लगानी शुरू कर दी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बतौर भाजपा प्रत्याशी रमा देवी बाजी मार कर सांसद निर्वाचित हुई थीं. 2019 का लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ ही एनडीए और महागठबंधन की ओर से संभावित प्रत्याशी के तौर पर कई नाम सामने आने शुरू हो गए हैं. जो परिस्थितियां दिखती हैं, उनके अनुसार एनडीए से भाजपा एवं जदयू तो महागठबंधन से राजद एवं कांग्रेस के बीच टिकट की दावेदारी को लेकर जोर- आजमाइश की संभावना है. भाजपा सांसद रमा देवी शिवहर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, लेकिन इस बार उनकी सीट बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं. चर्चा यह है कि इस बार भाजपा के बजाय जदयू शिवहर में एनडीए खेमे से चुनाव लड़ सकता है. ऐसे में, जदयू की ओर से राणा रंधीर सिंह चौहान, विधायक सर्फु द्दीन एवं हाल में रालोसपा से नाता तोड़ कर जदयू की सदस्यता ग्रहण करने वाले राम पुकार सिन्हा इस सीट पर दावेदारी कर सकते हैं. वहीं महागठबंधन से राजद की ओर से पूर्व विधायक अजीत कुमार झा एवं अंगेश कुमार सिंह अंगराज अपनी दावेदारी के लिए पार्टी नेतृत्व पर दबाव बना सकते हैं. जबकि कांग्रेस की ओर से रीगा विधायक अमित कुमार टुन्ना एवं हाल में कांग्रेस का दामन थामने वाली पूर्व सांसद लवली आनंद के अलावा शिवहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद असद भी अपने परिवारीजनों के लिए टिकट की दावेदारी में शामिल हो सकते हैं. चुनाव करीब आने के साथ ही प्रत्याशियों की संख्या में बढ़ोत्तरी से इंकार नहीं किया जा सकता.
2014 में 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में शिवहर सीट भाजपा के खाते में गई थी. भाजपा उम्मीदवार रमा देवी को तीन लाख 72 हजार 506 और राजद के मोहम्मद अनवारुल हक को दो लाख 36 हजार 267 वोट मिले थे. जदयू प्रत्याशी शाहिद अली खान को 79 हजार 108 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रहीं पूर्व सांसद लवली आनंद को महज 46 हजार 08 वोट ही मिल सके थे. तकरीबन पौने 13 लाख मतदाताओं वाली इस सीट को राजपूत बाहुल्य माना जाता है. जातीय नजरिये से इस सीट पर कब्जे को लेकर राजपूत बिरादरी की ओर से हरसंभव प्रयास इस चुनाव में किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. सीट बंटवारे के बाद टिकट वितरण कार्य संपन्न होने के साथ ही यह सीट निकालने के लिए राजपूत बिरादरी एकजुट हो सकती है. वहीं दलगत आधार पर भी मंथन का दौर शुरू हो सकता है. वैसे अभी वक्त है. दलगत आधार पर गठबंधन के तहत सीट किस-किस दल के पाले में जाएगी, फि लहाल कहा नहीं जा सकता. लेकिन, इतना तो साफ है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच जबरदस्त चुनावी संग्राम होगा. इस बार चुनाव में जाति एवं पार्टी के अलावा विकास भी अहम चुनावी मुद्दा बन सकता है. बाढ़, सुखाड़ एवं नक्सली गतिविधियों को लेकर चर्चित रहे शिवहर को समुचित विकास की दरकार है. जाति और पार्टी की राजनीति के बीच इस चुनाव में आम मतदाता विकास को प्राथमिकता देने वाले प्रत्याशी की बाट जोह रहे हैं.