सिगरेट कंपनियों ने बंद किया उत्पादन

सिगरेट पैकेट के 85 फीसदी हिस्से पर पिक्टोरियल वॉर्निंग छापने के सरकार के फैसले के खिलाफ कंपनियों ने फैक्ट्री को बंद करने का एलान किया है। आईटीसी, गॉडफ्रे फिलिप्स और वीएसटी जैसी दिग्गज कंपनियों ने फैक्ट्री को बंद करने का एलान कर दिया है। इससे देश में सिगरेट का प्रोडशन करीब बंद माना जा रहा है। इस उद्योग के प्रमुख संगठन द टोबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक सैयद महमूद अहमद ने अपने जारी बयान में कहा कि सिगरेट निर्माताओं के उत्पादन बंद करने से प्रतिदिन 350 करोड़ रुपए के राजस्व के नुकसान का अनुमान है।

85 फीसदी हिस्से पर पिक्टोरियल वॉर्निंग का आदेश

सरकार ने आदेश जारी किया है कि 1 अप्रैल से टोबैको के सभी तंबाकू उत्पाद वाली वस्तुओं के पैकेट के 85 फीसदी हिस्से पर पिक्टोरियल वॉर्निंग छापी जाए। सरकार के आदेश में 60 फीसदी हिस्से पर कौन सा चित्र लगे इसका भी जिक्र है, और 25 फीसदी हिस्से पर लिखित चेतावनी का निर्देश है।

सिगरेट निर्माता सरकार के फैसले के विरोध में

सिगरेट निर्माता सरकार के इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं। सिगरेट निर्माताओं के संगठन टुबैको इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (टीआईआई) ने सिगरेट उत्‍पादन को बंद करने का ऐलान किया है। सिगरेट निर्माताओं को कहना है कि सरकार अपनी मनमानी चला रही है। उनका कहना है कि जब तक सरकार इस फरमान को वापस नहीं लेती है तब तक सिगरेट का उत्‍पादन नहीं किया जाएगा

सरकार दबाव में

TRI  का यह भी कहना है कि सरकार विदेश से जुड़े एनजीओ और तंबाकू कार्यकर्ताओं के दबाव में है। जिससे ऐसे फरमान जारी कर रही है। हालांकि सरकार के इस फैसले से राजस्व का नुकसान होने के साथ ही सिगरेट की गैर कानूनी बिक्री में इजाफा होने की संभावना मानी ज रही है। साथ ही सिगरेट के व्‍यवसाय से जुड़े करीब 4.57 करोड़ लोगों की रोजी रोटी पर संकट के बादल भी मंडरा सकते हैं।

गौरतलब है कि चीन के बाद भारत में सबसे ज्यादा तंबाकू का उत्पादन होता है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है। भारत से 80 देशों में सिगेरट एक्सपोर्ट होती है, जबकि इस उद्योग से 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।

 

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