सुनील वर्मा।
विशेष आर्थिक अपराधों का खुलासा करने के लिए बनी जांंच एजेंसी प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) इन दिनों देश के एक खास शख्स के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच में न केवल मशरूफ है बल्कि दोतरफा दबाव में भी है। ये खास शख्स हैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा। इस महकमे पर जहां एक तरफ केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के नेता ये आरोप लगा रहे हैं कि वाड्रा के खिलाफ जांच में शिथिलता बरती जा रही है तो कांग्रेस प्रत्यारोप लगा रही है कि सरकार के दबाव में गांधी परिवार को बदनाम करने के लिए ईडी वाड्रा को जांच के बहाने निशाना बना रही है।
नई दिल्ली के खान मार्केट के पास लोकनायक भवन के सातवें तल पर बने मुख्यालय में बैठने वाले ईडी के निदेशक करनैल सिंह इन आरोपों को बेतुका बताते हुए कहते हैं, ‘हम किसी के दबाव में नहीं हैं। हमारी प्राथमिकता बिना किसी दबाव में आए सिर्फ इस मामले को नहीं बल्कि सभी जांच कार्यों को पुख्ता आधार पर अपने अंजाम तक पहुंचाना है।’ राबर्ट वाड्रा के खिलाफ चल रही जमीन घोटाले की जांच के बारे में एक अन्य अधिकारी कहते हैं, ‘वक्त भले ही लग रहा हो लेकिन हम ठोस सबूतों के आधार पर ही जल्द एक ठोस नतीजे पर पहुंचेंगे।’
वाड्रा के खिलाफ ईडी के पास औपचारिक तौर पर तो फिलहाल एक ही मामले की जांच है जो राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटाले से जुड़ा है। इसमें सीधे उनकी कंपनी का नाम जुड़ा है। दूसरा मामला लंदन में उनके द्वारा कथित रूप से एक घर खरीदने को लेकर उठे ताजा विवाद की जांंच से जुड़ा है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक लंदन में बेनामी संपत्ति खरीदने की जांच सीधे तौर पर राबर्ट वाड्रा से नहीं जुड़ी है। यह जांच अगस्ता हेलिकॉप्टर डील से जुड़ी है। इसमें एक आरोपी गौतम खेतान के हार्ड डिस्क से मिले दस्तावेजों की जांच के दौरान दिल्ली के एक हथियारों के दलाल संजय भंडारी की भूमिका सामने आई है। ईडी के कहने पर जब आयकर विभिाग ने भंडारी के ठिकानों पर छापा मारा तो लंदन की संपत्ति को लेकर वाड्रा और उसके सहयोगियों के बीच ईमेल पर बातचीत का पता चला।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हेलिकॉप्टर घोटाले में अभी तक संजय भंडारी की भूमिका स्पष्ट नहीं है। लेकिन गौतम खेतान के हार्ड डिस्क से संजय भंडारी के विदेशों में बड़े पैमाने पर लेन-देन का पता चला है। विदेशी मुद्रा में सैकड़ों करोड़ रुपये संदिग्ध लेन-देन को देखते हुए ईडी ने तत्काल आयकर विभाग से इसकी जांच करने को कहा था जिसके बाद आयकर विभाग ने भंडारी के 18 ठिकानों पर छापा मारा। छापे के दौरान भंडारी के ऊंचे रसूख और करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेन-देन के ठोस सबूत मिले हैं।
सूत्र बताते हैं कि वाड्रा और उनकी कंपनियों के खिलाफ इन दिनों ईडी सीधे तौर पर भले ही एक मामले की जांच कर रहा है लेकिन भ्रष्टाचार व दलाली से जुडेÞ करीब दो मामले मामले ऐसे हैं जिनमें ईडी को वाड्रा के जुडेÞ होने की बू आ रही है। मसलन, अगस्ता वेस्टलैंड और संजय भंडारी के खिलाफ मनी लांड्रिग मामले की जांच। जांचकतार्ओं का कहना है कि इस घर को लेकर रॉबर्ट वाड्रा की भूमिका पर संदेह प्रॉपर्टी रिकॉर्ड को लेकर नहीं है क्योंकि ये सारे लेन-देन बेनामी हैं। बल्कि भंडारी के घरों और दफ्तरों पर छापे में मिले ईमेल, इस हथियार सौदागर के बयान और इस सौदे में कथित रूप से शामिल बर्कले बैंक से मिले विस्तृत नोट पर आधारित हैं। इसलिए इसकी जांच में लंबा वक्त लग सकता है।
भंडारी की तरक्की में छिपा वाड्रा का राज
दरअसल, संजय भंडारी का उत्थान बिल्कुल वैसा ही है जैसा राबर्ट वाड्रा का। भंडारी की जिंदगी में भी आर्थिक विस्तार उसी वक्त हुआ जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी। ईडी के सूत्र बताते हैं कि रॉबर्ट वाड्रा से कथित जुड़ाव के चलते संजय भंडारी ने पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से खुद को मजबूत किया। मॉडर्न स्कूल से पढ़े भंडारी के रसूख में 2008 में भारी इजाफा हुआ। डिफेंस कॉलोनी के एक रियल स्टेट एजेंट जो राबर्ट वाड्रा का भी दोस्त है उसके जरिये भंडारी दिल्ली के पावरफुल लोगों के संपर्क में आया। उसी के बाद भंडारी ने रक्षा क्षेत्र में कदम रखा। नेताओं, अफसरों से करीबी बढ़ाने के बाद भंडारी ने हथियारों की दलाली शुरू कर दी।
जांच एजेंसियों के राडार पर भंडारी उस वक्त आया जब 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट में उसकी भूमिका संदिग्ध पाई गई। वह आॅफसेट इंडिया सॉल्यूशंस का मुख्य प्रमोटर है। यह कंपनी 2008 में इसलिए बनाई गई थी ताकि विदेशी विक्रेताओं से भारत के घरेलू उत्पादन क्षेत्र में कांट्रैक्ट की कुल वैल्यू का कम से कम 30 प्रतिशत निवेश कराया जाए। भंडारी की कंपनी आईओएस पूरी दुनिया में कारोबार करती है। इसलिए उसकी आर्म्स इंडस्ट्री में मजबूत पकड़ है। इस इंडस्ट्री के बहुत से लोगों को इस बात पर आश्चर्य होता है कि कंपनी ने कैसे इतना बड़ा कारोबार खड़ा कर लिया। आईओएस के पास डिफेंस शोज में सबसे बड़े स्टॉल होते हैं। वह भी तब जब उसके पास भारत से जुड़ा कोई भी बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं है। आईओएस को कभी कोई बड़ा कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला मगर कंपनी इंटरनेशनल डिफेंस शोज में मार्केटिंग के लिए भारी रकम खर्च करती रही। भंडारी के वाड्रा और अन्य राजनीतिज्ञों, अफसरों से रिश्तों की जांच कर रहे ईडी ने भंडारी की कंपनियों द्वारा विदेश में किए गए निवेशों का पता लगाने के लिए इकनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट से भी मदद मांगी है।
ईमेल और फोन कॉल रिकॉर्ड की छानबीन के बाद ईडी को पता चला है कि भंडारी नौकरशाहों, राजनेताओं और निजी कंपनियों खासतौर से रक्षा क्षेत्र में काम करने वालों के बराबर संपर्क में रहा। जांच में उसके भाजपा और कांग्रेस, दोनों पार्टी के नेताओं से संपर्क की बात सामने आई है। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस के हैं। आईओएस और भंडारी केपास से जोे कागजात मिले हैं वे संवेदशनील हैं। जल्द ही भंडारी के खिलाफ गोपनीयता कानून के तहत मामला दर्ज हो सकता है।
राजस्थान की जांच मुकाम तक
ईडी ने पिछले साल सितंबर में राजस्थान के बीकानेर स्थित कोलायत में 374 हेक्टेयर जमीन को लेकर हुए घोटाले में मनी लांड्रिग का मामला दर्ज किया था। हालांकि आरोपियों में वाड्रा का सीधा नाम नहीं है लेकिन उनकी कंपनी के नाम हैं जिसने किसानों से सस्ते में जमीन खरीदी और बाद में मोेटी कीमत पर बेच दी। ईडी इस सौदे के ट्रांजेक्शन की जांच कर रहा है। मामले में राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों और कुछ ‘भूमाफिया’ के नाम शामिल हैं। आरोप है कि राजस्थान की तत्कालीन गहलोत सरकार ने इस इलाके को सोलर पार्क जोन घोषित किया। ईडी ने इस मामले में अब तक राबर्ट वाड्रा को सिर्फ पूछताछ के लिए समन जारी किए हैं लेकिन पुख्ता सबूतों के अभाव में ईडी इससे आगे नहीं बढ़ पाया है।
हरियाणा जमीन घोटाला
हरियाणा के तीन जिलों के किसानों से उनकी जमीन औने-पौने दाम पर लेने के एक मामले में भी वाड्रा के खिलाफ जांच चल रही है। इस मामले में अभी वाड्रा के खिलाफ कोई कार्रवाई तो अमल में नहीं लाई गई है लेकिन जल्द ही इसकी जांच रिपोर्ट एक आयोग द्वारा सरकार को सौंपी जाने वाली है। इस मामले में देश की नंबर एक रियल स्टेट कंपनी डीएलएफ और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसमें रॉबर्ट वाड्रा का नाम भी शामिल है। आरोप है कि यह घोटाला राज्य की तत्कालीन कांग्रेस नीत भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार की मेहरबानी के चलते हुआ। इससे राज्य के खजाने को करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
राज्य सरकार का आरोप है कि डीएलएफ समेत प्राइवेट बिल्डर्स ने हरियाणा सरकार के कर्मचारियों से सांठगांठ कर मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों से लगभग 400 एकड़ जमीन खरीदी थी। हरियाणा विधानसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में भी वाड्रा की स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी व अन्य बिल्डरों को इस जमीन सौदे से बड़ा फायदा होने की बात सामने आ चुकी है।
रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों को जमीन आवंटन से लेकर लाइसेंस तक के मामलों की जांच के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन कर 8 दिसंबर, 2015 तक आयोग को अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा था। लेकिन बाद में सरकार ने आयोग की जांच का दायरा बढ़ा दिया और आयोग को विस्तार देकर जून 2016 तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का वक्त दिया।