वाशिंगटन।
पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने वाले अमेरिका में इस बार ऐसी विनाशकारी बाढ़ आई है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी चिंतित हो गए हैं। इस बाढ़ और तूफान की खास वजह ग्लोबल वार्मिंग है, लेकिन भारी तबाही से भी कुछ देश सबक नहीं ले रहे हैं। बाढ़ से ह्यूस्टन शहर का सबसे ज्यादा बुरा हाल है।
गनीमत रही कि ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी कैम्पस में फंसे 200 भारतीय छात्रों को बाहर निकाल लिया गया है। इससे पहले, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके इन छात्रों के फंसे होने की जानकारी दी थी। दो भारतीय शालिनी और निखिल भाटिया को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा है।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय निंदा के बावजूद अमेरिका पेरिस समझौते से पीछे हट चुका है। दुनिया के लगभग 200 देशों ने 2015 में पेरिस में जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले अमेरिका और चीन भी इसमें शामिल थे। यह समझौता दुनिया भर के तापमान में वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस पर रोकने की बात करता है।
हार्वे साइक्लोन ने अमेरिका के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई है। यह 12 साल का सबसे ताकतवर साइक्लोन है। इससे टेक्सास और ह्मूस्टन में जबर्दस्त बारिश हुई है। सड़कों पर नाव चल रही हैं। सैकड़ों इमारतें ढह गई हैं। दो लाख घरों की बिजली गुल है। हजारों लोग छतों पर रात बिता रहे हैं।
ह्मूस्टन में पांच लोगों की मौत की भी खबर है। मौसम विभाग का कहना है कि दो दिन में टेक्सास शहर पर 11 ट्रिलियन गैलन (41 लाख करोड़ लीटर) पानी गिरा है। यह उतना ही है जितना कैलिफोर्निया में 2015 में आए सदी के सबसे बड़े सूखे को खत्म करने के लिए चाहिए था।
डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा, यह अब तक का सबसे बड़ा तूफान है। यह ऐतिहासिक है। संभवत: पहले इस तरह का कुछ नहीं हुआ है। खाड़ी तट पर सप्ताहांत में तूफान आया था और इसने ह्यूस्टन प्रांत को जल प्लावित कर दिया। मैंने इस तूफान के बारे में ‘सबसे बड़ा’ और ऐतिहासिक शब्द का इस्तेमाल होते हुए सुना।