हमारे देश में शिक्षा को लेकर लोग कितने जागरूक है इसका पता इस बात से लगता है कि 3 से 6 साल के 7.40 करोड़ बच्चों में से 2 करोड़ प्री-स्कूल नहीं जाते। यह चौंकाने वाले आंकड़े संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) की ताजा रिपेार्ट में सामने आए हैं। स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों में 34% मुस्लिम, 25.9% हिंदू, 25.6% क्रिश्चियन परिवारों के हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, प्री-स्कूल ना भेजने की बजाय जब बच्चों को सीधे प्राइमरी स्कूल में एंट्री दिलाई जाती है, तो उनके जल्द ही स्कूल छोड़ने की आशंका बढ़ जाती है। इससे उनका पोटेंशियल पूरी तरह सामने नहीं आ पाता है और बच्चों की सीखने की कैपेबिलिटी पर भी असर पड़ता है। यह जानकारी ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट-2016’ में दी गई है।
सरकार ने 2014 में स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को लेकर एक नेशनल सर्वे कराया था। इसके मुताबिक 60% से ज्यादा बच्चे ग्रेड 3 कम्प्लीट करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं। सर्वे में पाया गया कि आरटीई (राइट टू एजुकेशन) का असर ज्यादा नहीं पड़ा है। 2014 में 6 से 13 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 60 लाख थी। जबकि 2009 में यह 80 लाख थी।
इसमें एलीमेंट्री एजुकेशन पूरी होने से पहले स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 36% थी। एक दूसरे, नेशनल अचीवमेंट सर्वे (2014) की रिपोर्ट में बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिलने की बात कही गई है। इसके मुताबिक देश में कई बच्चे ऐसे हैं, जो मैथ्स के सवाल नहीं समझ पाते हैं। नई एजुकेशन पॉलिसी में इन सब खामियों को दूर करने की उम्मीद जताई गई है।