किंशासा।
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्तराष्ट्र मिशन पर अब तक का सबसे बड़ा हमला हुआ है। 15 शांति सैनिकों की मौत हो गई है और 55 घायल हुए हैं। विद्रोहियों ने संयुक्तराष्ट्र शांति सैनिकों के बेस (संचालन केंद्र) पर यह हमला किया। मध्य अफ्रीका के देश कांगो गणराज्य की सीमा गबोन, कैमरून, मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, काबिन्डा का अंगोलन बाह्य क्षेत्र और गिनी की खाड़ी से मिलती है।
नॉर्थ किवू प्रांत में खनिज पदार्थों का बड़ा भंडार है जिस पर नियंत्रण के लिए कई हथियारबंद लड़ाके लगातार कोशिश कर रहे हैं। कांगो के सुरक्षाबलों और संयुक्तराष्ट्र शांतिरक्षकों के साथ कई बार उनकी झड़पें हुई हैं। कांगो गणराज्य में मोनुस्कू शांति मिशन के तहत लगभग 18 हजार शांतिरक्षक काम कर रहे हैं।
कांगो गणराज्य में राहत कार्य कर रही संस्थाओं ने इसी सप्ताह कहा था कि संघर्ष के कारण 17 लाख लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन करना पड़ा है। रिफ्यूजी काउंसिल के उलरिका ब्लॉम स्थिति को ‘चिंताजनक संकट’ बताते हुए कहते हैं, “संघर्ष के कारण यहां से इतने लोग घरबार छोड़कर भाग रहे हैं कि यह आंकड़ा सीरिया, यमन और इराक़ से भाग रहे लोगों की संख्या से अधिक है।”
न्यूयॉर्क में संयुक्तराष्ट्र के उपप्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि अधिकतर शांति सैनिक तंजानिया के थे। क्षेत्र के सबसे खूंखार विद्रोही संगठन ने हमले को अंजाम दिया है। हमले में कांगो के कम से कम 5 सैनिक मारे गए हैं। संयुक्तराष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने हमले को ‘युद्ध अपराध’ करार दिया है। उन्होंने कांगो के अधिकारियों से घटना की तुरंत जांच का आग्रह किया है।
शांति सैनिकों का यह संचालन केंद्र बेनी कस्बे से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है। बेली में विद्रोही संगठन एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेज के लड़ाके अक्सर हमला करते रहते हैं।