नई दिल्ली। महागठबंधन की जिस राह पर यूपी नजर आ रहा है, उसमें किंतुओं और परंतुओं का समाधान होना बाकी है। अखिलेश के नाम पर भले ही सहमति हो, लेकिन बाकी महारथियों ने अभी अपना स्थान ग्रहण नहीं किया है। जब तक वे अपना स्थान ग्रहण नहीं करेंगे, तब तक महागठबंधन पर ग्रहण लगा ही रहेगा।
उत्तर प्रदेश की राजनीति की सियासत के सियासी फलक पर नया सियासी पता लिखा जा रहा है। लेकिन जो दिख रहा है वह हो नहीं रहा। अखिलेश राहुल करीब आना चाहते हैं, मुलायम सिंह तैयार हैं। लेकिन मुलायम अमर सिंह और शिवपाल को तवज्जो देना चाहते हैं। वहीं राहुल, अमर सिंह, शिवपाल और मुलायम को बिहार की तर्ज पर लालू यादव से हुए समझौते की तरह साथ रखना चाहते हैं।
इसलिए भले ही मुलायम और अमर सिंह साथ रहे हों, लेकिन पीके के करीबियों ने साफ कर दिया कि गाड़ी अमर सिंह की नहीं मुलायम की थी और बातचीत अमर सिंह से नहीं मुलायम सिंह से हुई।
इसलिए आप थोड़ा इंतजार कीजिए उस वक्त का, जब अखिलेश नीतीश की भूमिका में आएंगे। अमर सिंह और शिवपाल साइड हो जाएंगे। क्योंकि कांग्रेस और राहुल अखिलेश में नीतीश और मुलायम में लालू देखना चाहते हैं। इस सूरत में अखिलेश राहुल-प्रियंका डिंपल और जयंत चौधरी की नौजवान टीम मैदान में उतर जाएगी। पर ख्याल रखिए यह वही है जो देखा जा रहा है धरातल पर इसका उतारना बाकी है। उसका इंतजार है क्योंकि इसमें बहुत सारे इफ एंड बट बाकी हैं।