नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के नाम पर कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कवायद शुरू कर दी है। सत्ता के लिए उन्होंने जो नया समीकरण निकाला है, उसके तहत ताज अखिलेश के ही सिर बंधने की शर्त पर सहमति बनी है।
दरअसल, शीला दीक्षित के नाम पर सियासी बम चलाने की कोशिश में कांग्रेस की समझ में आ गया कि यह बम चलने वाला नहीं है। भाजपा को रोकना है तो बड़ा सियासी धमाका करना होगा। इसलिए प्रशांत किशोर (पीके) समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके घर पहुंचे।
अमर सिंह उनको लेने गए और लेकर आए। मुलायम से मिलवाया। फिर प्रशांत किशोर वापस चले गए। राहुल, अखिलेश से रिश्ता जोड़ना चाहते हैं लेकिन मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह की हैसियत वही रखना चाहते हैं जैसे बिहार में लालू यादव की थी। यानी बिहार का नीतीश फॉर्मूला राहुल उत्तर प्रदेश में अखिलेश फॉर्मूले की तर्ज पर इस्तेमाल करना चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने तय कर लिया है कि वह अखिलेश का साथ देने के लिए तैयार हैं। सम्मानजनक सीटें यानी 125 से 150 के बीच लेने को तैयार हैं। लेकिन बिहार में नीतीश की तरह अखिलेश यादव ही चेहरा बनें और जनता में संदेश जाए कि समाजवादी पार्टी ही नहीं महागठबंधन में भी सब कुछ अखिलेश ही होंगे।
प्रशांत किशोर ने मुलायम से मुलाकात की जानकारी राहुल गांधी को दे दी है। उन्होंने राहुल को फोन कर मुलायम से मुलाकात के दौरान हुई बातचीत का ब्योरा दिया। अखिलेश, राहुल, डिंपल, प्रियंका और जयंत चौधरी ऐसे स्टार प्रचारक हैं जो भविष्य में महागठबंधन का भविष्य तय करेंगे।
इसलिए प्रशांत किशोर जब मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे तो पीके के करीबियों ने साफ कर दिया कि भले ही अमर सिंह उनको लेकर मुलायम के पास गए हों और गाड़ी में साथ बैठे रहे हों पर सच्चाई यह है कि पीके को ज़िम्मा सिर्फ मुलायम सिंह यादव से मिलने का मिला था। इसलिए पीके जब मुलायम से मिलने पहुंचे तो अमर सिंह मुलायम सिंह की मर्सिडीज गाड़ी लेकर पीके के पास पहुंचे क्योंकि पीके मुलायम की भेजी उस गाड़ी में मिलने आ गए और उसके बाद पीके अकेले मुलायम की भेजी गाड़ी से ही वापस गए। तब अमर सिंह साथ नहीं थे और कुछ देर बाद वह गाड़ी पीके को छोड़कर वापस आ गई।
कुल मिलाकर आरएलडी कांग्रेस समाजवादी पार्टी और छोटे-छोटे दलों को मिलाकर अखिलेश के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की तैयारी तेज हो गई है। बस राहुल और कांग्रेस की चाहत है कि अखिलेश नीतीश की भूमिका में हों जैसे नीतीश ने लालू कांग्रेस के बीच फैसला कर दिया वैसे ही फैसला करने की सूरत में अखिलेश आ जाएं।
प्रशांत किशोर ने मुलायम सिंह यादव से दो टूक कहा कि बिहार की तर्ज पर महागठबंधन बनाकर और अखिलेश के चेहरे को आगे रख कर भाजपा को रोका जा सकता है। वरना लड़ाई अगर बीजेपी और बीएसपी की हुई तो सपा का यादव मतदाता भी मायावती को रोकने के लिए बीजेपी के पास चला जाएगा और सपा की हालत देख मुस्लिम मतदाता भी मायावती के पास चला जाएगा।