लखनऊ।
फिल्म बैजू बावरा का वो गीत आपको याद होगा…तू गंगा की मौज मैं यमुना की धारा…कुछ इसी अंदाज में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ है। गठबंधन के बाद रविवार को पहली बार राहुल गांधी लखनऊ पहुंचे। यहां उन्होंने अखिलेश यादव के साथ ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल और अखिलेश ताज होटल पहुंचे, यहां दोनों ने एक-दूसरे को गुलदस्ते भेंट किए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में थीम सॉन्ग लॉन्च किया गया। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पहला शब्द ‘उत्तर’ है। सपा-कांग्रेस का गठबंधन एक जवाब है। राहुल ने इस गठबंधन की तुलना गंगा-यमुना के मिलन से की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद रोड शो
सपा-कांग्रेस की ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने रोड शो किया। राहुल ने कहा-गंगा-यमुना के मिलन से निकलेगी प्रोग्रेस की सरस्वती। राहुल ने कहा कि दिल से आप सबका स्वागत है। राहुल ने कहा कि ये मोदी जी के शब्दों में तीन पी है- प्रोग्रेस, प्रॉस्पर्टी और पीस। हम क्रोध की राजनीति खत्म करना चाहते हैं।
अखिलेश ने कहा कि हम कांग्रेस के साथ केंद्र में भी साथ रहे हैं। ये विकास का गंठबंधन है, जनता का गठबंधन है। जनता चाहती है कि गठबंधन हो। कांग्रेस के साथ और तेजी से काम होगा। गठबंधन को 300 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। लोगों का भरोसा बढ़ेगा और यूपी की जनता को साथ लेकर चलेंगे। हम और राहुल साइकिल के दो पहिये हैं।
’27 साल यूपी बेहाल’ के नारे का क्या होगा? इस सवाल पर राहुल ने कहा कि अखिलेश का काम अच्छा है। हम मिलकर लड़ेंगे। युवाओं की सरकार आएगी। जब राहुल से पूछा गया कि इसमें कितनी सच्चाई है कि गठबंधन सपा से नहीं अखिलेश यादव से किया है और आपको इसका इंतजार था, इसी वजह से चुनाव आयोग में कपिल सिब्बल ने अखिलेश का पक्ष लड़ा। राहुल ने कहा कि हम युवाओं को नई तरह की राजनीति देना चाहते हैं। हमारी विचारधाराओं में समानता है। अखिलेश ने कहा कि हम दोनों मिलकर 5 साल सरकार चलाएंगे।
2019 में राहुल को पीएम के लिए प्रोजेक्ट करेंगे? के जवाब में अखिलेश बोले-आपको जल्दीबाजी नहीं होनी चाहिए। अखिलेश एक तरह से सवाल टाल गए। राहुल बोले-प्रियंका ने मेरी मदद की है, वो मुझे मदद करती हैं और करती रहेंगी। चुनाव में प्रचार के बारे में प्रियंका फैसला लेंगी। राहुल ने कहा-मैं मायावती जी की इज्जत करता हूं। कांशीराम की भी इज्जत करता हूं, उन्होंने गलतियां की पर उनकी इज्जत करता हूं। मायावती की विचारधारा से देश को कोई खतरा नहीं है।
दरअसल, समाजवादी पार्टी की स्थापना के बाद मुलायम सिंह यादव ने सत्ता में आने के लिए जो प्रयोग किया था अखिलेश यादव 24 साल बाद वही प्रयोग दोहरा रहे हैं। उस समय मुलायम ने बसपा के साथ गठबंधन किया और इस बार अखिलेश ने कांग्रेस के साथ। सपा-बसपा गठबंधन ने 1993 के चुनाव में बहुमत हासिल कर सरकारी बनाई थी। सपा-कांग्रेस गठबंधन इस चुनाव में क्या गुल खिलाता है, यह तो समय बताएगा। पर दोनों पार्टी की कमान इस समय युवा हाथों में है।