सीमा पार आतंकवाद से त्रस्त भारत ने ग्लोबल स्तर पर इस मसले पर अब तक की सबसे बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की है।भारत हमेशा से दुनिया के तमाम देशों और अंतरराष्ट्रीय मंचों से पड़ोसी पाकिस्तान को आतंक का गढ़ और आतंकवादियों को पनाह देने वाला देश घोषित करने की मांग करता रहा है क्योंकि भारत में अब तक हुए हर छोटे-बड़े आतंकी हमले के तार पाकिस्तान से ही जुड़ते रहे हैं। भारत की इस मांग को मानते हुए दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंक और आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों की सूची में डाल दिया है।
इसके साथ ही अमेरिका अब कभी भी उस पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा सकता है। इससे उन देशों पर भी पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने का दबाव बढ़ गया है जो अब तक इससे बचते रहे हैं या फिर पाकिस्तान के इस झांसे में आते रहे हैं कि वह खुद आतंक से पीड़ित है। अमेरिकी विदेश विभाग ने अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी अपनी सालाना रिपोर्ट ‘कंट्री रिपोर्ट आॅन टेररिज्म’ में कहा है कि पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के अंदर हमले करने वाले तहरीक ए पाकिस्तान तालिबान जैसे संगठनों के खिलाफ हमले तो किए मगर ‘लश्कर ए तैयबा’ और ‘जैश ए मोहम्मद’ जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की जो दूसरे देशों को निशाना बनाते हैं। इन संगठनों ने पाकिस्तान के अंदर 2016 में संचालित होना, प्रशिक्षण देना, संगठित होना और धन जुटाना जारी रखा।
हाफिज को खुली छूट
इसमें कहा गया है कि हालांकि लश्कर ए तैयबा पाकिस्तान में प्रतिबंधित है, जबकि लश्कर की शाखा जमात उद दावा और फलह ए इंसानियत फाउंडेशन खुल कर धन एकत्र कर रहे हैं। इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि लश्कर ए तैयबा प्रमुख हाफिज सईद का विशाल रैलियों को संबोधित करना जारी है। हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित कर रखा है। बावजूद इसके वो पाकिस्तान की धरती पर सार्वजनिक रैलियां कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने हाफिज सईद को खुली छूट दे रखी है। उसने फरवरी 2017 में भी सार्वजनिक रैली को संबोधित किया।
विदेश विभाग ने कहा, ‘पाकिस्तान ने अफगान तालिबान या हक्कानी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की और न ही अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के लिए खतरा पेश करने वाली उनकी क्षमता सीमित की। हालांकि, पाकिस्तान ने अफगान नीत शांति प्रक्रिया में दोनों संगठनों को लाने की कोशिशों का समर्थन किया।’ रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पर हमले जारी हैं जिनमें माओवादियों और पाक पोषित आतंकवादियों के हमले शामिल हैं। भारतीय अधिकारियों ने जम्मू कश्मीर में सीमा पार से होने वाले हमलों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराना जारी रखा है।
पठानकोट हमले का भी जिक्र
इस रिपोर्ट में पिछले साल पठानकोट में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया गया है। इस बारे में कहा गया है कि जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट में एक आतंकी हमला हुआ था जिसके लिए जैश ए मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया गया था। इसके बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग मजबूत करने और अमेरिका के साथ सूचना साझा करने की अपील की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने आईएसआईएस और अलकायदा इन द इंडियन सबकांटीनेंट (एक्यूआइएस) जैसे आतंकी संगठनों से पैदा होने वाले खतरों पर करीबी निगरानी जारी रखी है। भारत के अंदर हमले की साजिश रचने और आईएसआईएस से जुड़ी भर्तियों को लेकर कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं।
भारत तीसरा सबसे प्रभावित देश
रिपोर्ट में भारत को दुनिया में आतंकवाद से प्रभावित तीसरा सबसे बड़ा देश माना गया है। वर्ष 2016 में भारत में 927 आतंकी हमले हुए हैं जिससे ज्यादा आतंकी हमले सिर्फ इराक (2965) और अफगानिस्तान (1340) में हुए हैं। वर्ष 2015 में भारत में 798 आतंकी हमले की बात कही गई है। 2015 के मुकाबले 2016 में आतंकी हमले 16 फीसदी बढ़ गए। भारत में आतंकी हमलों में हुई इस बढ़ोतरी के लिए कश्मीर में जारी हिंसा को एक बड़ी वजह बताया गया है। इन आतंकी हमलों में पिछले साल 337 भारतीयों की जान गई हैं जबकि 636 लोग घायल हुए हैं। भारत में आतंकी हमलों की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि यहां पाकिस्तान (734) से भी ज्यादा आतंकी हमले हुए हैं।
सूची में कई देश
इस रिपोर्ट में सूडान और सीरिया के साथ ईरान को अब भी दुनिया में आतंकवाद के शीर्ष प्रायोजक देशों में शुमार बताया गया है। तीनों देश पिछले कई दशकों से अमेरिका की इस सूची में शामिल हैं। ईरान को 1984 में आतंकवाद प्रायोजक देश की संज्ञा दी गई थी जबकि सूडान के साथ 1993 में ऐसा किया गया था। वहीं सीरिया को 1979 में यह संज्ञा दी गई थी। इनके अलावा अफगानिस्तान, सोमालिया, फिलीपींस, मिश्र, इराक, लेबनान, लीबिया, यमन, कोलंबिया और वेनेजुएला को भी अमेरिकी विदेश विभाग की इस सूची में रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीरिया की बशर अल असद सरकार ने सीरियाई संकट के छठे साल में प्रवेश करने के साथ क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित करने वाले कई आतंकी समूहों को राजनीतिक व सैन्य मदद देना जारी रखा है। वहीं ईरान ने 2016 में भी आतंकवादियों से संबंधित अपनी गतिविधि जारी रखी जिसमें हिज्बुल्ला, गाजा में फिलस्तीनी आतंकी समूहों और सीरिया, इराक व पूरे पश्चिम एशिया में कई समूहों की मदद करना शामिल है। इसमें आरोप लगाया कि ईरान ने विदेश नीति के लक्ष्यों को लागू करने, खुफिया अभियानों को सुरक्षा प्रदान करने और पश्चिम एशिया में अस्थिरता पैदा करने के लिए इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड कोर-कोड्स फोर्स (आइआरजीसी-क्यूएफ) का इस्तेमाल किया।