सुनील वर्मा
राज्यसभा में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विदाई समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति जी के परिवार का देश के इतिहास में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि अंसारी जी ने अपने कार्यकाल के दौरान सभी को संभाला। पीएम ने कहा कि आज के बाद आप अपनी मूल सोच पर काम कर सकते हैं, मेरी विदेश यात्रा शुरू होने या खत्म होने से पहले आपसे काफी कुछ सीखने को मिला था। पीएम मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दौरान देश के लिए काफी योगदान किया है।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब मैं पहली बार एमपी बना था, तब हामिद अंसारी जी कांग्रेस के बड़े नेताओं में से एक थे।
सरकार पर उठाए सवाल
लेकिन इस सबके बीच उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी एक टीवी इंटरव्यू में एक ऐसी बात कह गए की इससे मोदी सरकार पर अल्प संख्यको को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है ।
राज्यसभा टीवी पर जानेमाने पत्रकार करण थापर बतौर उप-राष्ट्रपति दिए गए अपने आखिरी इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने कहा की देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है। उनकी स्वीकार्यता का माहौल खतरे में है। उप राष्ट्रपति ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और असहनशीलता तथा कथित गौरक्षकों की गुंडागर्दी की घटनाएं सामने आई हैं और कुछ भगवा नेताओं की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ बयान दिए गए हैं।
अंसारी ने कहा कि उन्होंने असहनशीलता का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके कैबिनेट सहयोगियों के सामने उठाया है । उन्होंने इसे ‘‘परेशान करने वाला विचार’’ करार दिया कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
जब अंसारी से पूछा गया कि क्या उन्होंने अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री को अवगत कराया है, तो उप-राष्ट्रपति ने ‘‘हां’’ कहकर जवाब दिया। देश के उप-राष्ट्रपति होने के नाते संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति का पद भी संभाल रहे अंसारी ने कहा, ‘‘हां..हां . लेकिन उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच क्या बातें हो रही हैं, यह विशेषाधिकार वाली बातचीत के दायरे में ही रहना चाहिए। ’’ उन्होंने यह भी कहा कि अन्य केंद्रीय मंत्रियों के सामने भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया है।
सरकार की प्रतिक्रिया पूछे जाने पर अंसारी ने कहा, ‘‘यूं तो हमेशा एक स्पष्टीकरण होता है और एक तर्क होता है. अब यह तय करने का मामला है कि आप स्पष्टीकरण स्वीकार करते हैं कि नहीं और आप तर्क स्वीकार करते हैं कि नहीं।’’ इस इंटरव्यू में अंसारी ने भीड़ की ओर से लोगों को पीट-पीटकर मार डालने की घटनाओं, ‘घर वापसी’ और तर्कवादियों की हत्याओं का हवाला देते हुए कहा कि यह ‘‘भारतीय मूल्यों का बेहद कमजोर हो जाना, सामान्य तौर पर कानून लागू करा पाने में विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों की योग्यता का चरमरा जाना है और इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात किसी नागरिक की भारतीयता पर सवाल उठाया जाना है।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह इस बात से सहमत हैं कि मुस्लिम समुदाय में एक तरह की शंका है और जिस तरह के बयान उन लोगों के खिलाफ दिए जा रहे हैं, उससे वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इस पर अंसारी ने कहा, ‘‘हां, यह आकलन सही है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या मुस्लिमों को ऐसा लगने लगा है कि वे ‘अवांछित’ हैं, इस पर अंसारी ने कहा, ‘‘मैं इतनी दूर नहीं जाऊंगा, असुरक्षा की भावना है।’’ ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर अंसारी ने कहा ‘‘पहली बात तो यह कि यह एक सामाजिक विचलन है, यह कोई धार्मिक जरूरत नहीं है। धार्मिक जरूरत बिल्कुल स्पष्ट है, इस बारे में कोई दो राय नहीं है। लेकिन पितृसत्ता, सामाजिक रीति-रिवाज इसमें घुसकर हालात को ऐसा बना चुके हैं जो अत्यंत अवांछित है।’’ उन्होंने कहा कि अदालतों को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए, क्योंकि सुधार समुदाय के भीतर से ही होंगे। कश्मीर मुद्दे पर अंसारी ने कहा कि यह राजनीतिक समस्या है और इसका राजनीतिक समाधान ही होना चाहिए।