देश में एक जुमला बेहद प्रचलित है, कानून बनते ही हैं तोड़ने के लिए। नहीं तो कोई जुगाड़ निकाल लो। वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने मंत्रियों, नेताओं और अफसरों की गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाने पर पाबंदी लगा दी तो नेताओं ने इसका जुगाड़ निकाल लिया। एक मई से नया नियम लागू होने के बाद कई राज्यों के नेताओं ने अपनी गाड़ियों पर सायरन (हूटर) लगवा लिए ताकि उनकी गाड़ियां आम लोगों की गाड़ियों से अलग लगे। अपनी हनक बरकरार रखने के लिए कई नेताओं ने तो अपनी गाड़ी में पोस्ट के साथ नेम प्लेट भी लगा लिया।
इस तरह की कवायद मध्य प्रदेश से शुरू हुई जिसका अनुपाल तेलंगाना सहित कई अन्य राज्यों के नेताओं ने करना शुरू कर दिया है। हालांकि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम नेताओं को गाड़ियों पर हूटर लगाने की इजाजत नहीं देते। ऐसा करना गैरकानूनी है। इस अधिनियम के सेक्शन 119 में सिर्फ ऐम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड, कंस्ट्रक्शन के उपकरण ले जाने वाले वाहनों और पुलिस को ही सायरन के इस्तेमाल की इजाजत है। इनके अलावा कोई और अपनी कार में हूटर लगाता है तो उस पर 5000 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।
नया तरीका ढूंढने का निर्देश
इस बीच महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने इसका नया तरीका ढूंढने की कवायद शुरू कर दी है ताकि बिना नियमोंं को तोड़े यहां वीआईपी अपनी कारों को अलग दिखा सकेंं। सरकार इसे सुरक्षा कारणों के लिए जरूरी बता रही है। महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री दीपक केसरकार ने प्रदेश के डीजीपी को पत्र लिखकर कहा है कि इसके अन्य विकल्पों को तलाशा जाए जिससे नियम ना टूटें। केसरकर ने अपने पत्र में लिखा है कि जब मंत्री सफर करते हैं तो कुछ ऐसा जरूर होना चाहिए जिससे अन्य कारों से अलग उसकी पहचान की जा सके ताकि उनकी सुरक्षा के साथ समझौता नहीं हो।