नई दिल्ली। पानी के लिए देश-दुनिया में आग लगी हुई है। सिंधु जल संधि से हिमाचल प्रदेश प्रभावित है तो कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में बहने वाली कावेरी नदी के जल विवाद की पंचायत में सुप्रीम कोर्ट को उतरना पड़ा है। भारत-पाकिस्तान में 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि टूटने की आशंका से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और उसने अपनी पंचायत के लिए विश्व बैंक से गुहार लगाई है। हालांकि इस संधि के कारण हिमाचल प्रदेश अपने ही पानी का उपयोग नहीं कर पा रहा है।
लाहौल-स्पीति से निकलने वाली चिनाब पर न बिजली प्रोजेक्ट लग पा रहे हैं और न ही इस नदी का पानी सिंचाई के काम आ रहा है। संधि में प्रावधान होने के बावजूद चिनाब बेसिन पर हर छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान आपत्ति करता रहा है। वर्तमान में चिनाब पर हिमाचल की करीब आधा दर्जन परियोजनाओं को इंडस वाटर कमिश्नर की हरी झंडी नहीं मिली है।
पाकिस्तान चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर बनने वाले लगभग 30 बिजली प्रोजेक्टों पर आपत्ति दर्ज करवा चुका है। इनमें बिना पानी रोके बना लाहौल का 4.5 मेगावाट का थियोट प्रोजेक्ट भी शामिल है। सिंधु जल समझौते के तहत तीन पश्चिमी नदियां चिनाब, झेलम एवं सिंधु का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। बिजली उत्पादन, कृषि आदि के लिए इन नदियों के पानी के सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को है। सिंधु जल संधि को रद्द किए जाने के कयासों के बीच पाकिस्तान ने बुधवार को विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाया, जहां वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस मामले को उठाया।
पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल अश्तर औसाफ अली के नेतृत्व वाले पाकिस्तान सरकार के शिष्टमंडल ने वाशिंगटन डीसी स्थित विश्व बैंक मुख्यालय में विश्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की और सिंधु जल संधि-1960 के संदर्भ में मध्यस्थता के पाकिस्तानी आग्रह से जुड़े मामलों पर चर्चा की।
पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो की रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत का भी दरवाजा खटखटाया है, हालांकि उसने इस बारे में ब्यौरा नहीं दिया। पिछले 19 अगस्त को पाकिस्तान ने भारत से औपचारिक रूप से आग्रह किया था कि वह नीलम और चेनाब नदियों पर पनबिजली संयंत्रों के निर्माण से जुड़े विवादों का समाधान करे। वह मामले को अदालत ले गया था।
उधर, कर्नाटक ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह दिसंबर तक तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी नहीं दे सकता। राज्य के जलाशयों में पर्याप्त पानी नहीं है। बेंगलुरू शहर और कावेरी बेसिन के जिलों में पीने के पानी की कमी है। वह फिलहाल राज्य की जनता के लिए पानी की सप्लाई को प्राथमिकता देगा। कर्नाटक सरकार ने कोर्ट में पिटीशन लगाकर 20 सितंबर के फैसले को बदलने की अपील की थी। कोर्ट ने 42 हजार क्यूसेक पानी देने का आदेश दिया था। कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में बहने वाली कावेरी नदी के पानी को लेकर करीब 100 साल से विवाद है।