भारत के विरोध में पश्चिम मीडिया को मिला मसाला

निशा शर्मा।  भारत को परिभाषित करने के लिए यह विडियो हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है यही नहीं यह विडियो भारत से ज्यादा पश्चिम मीडिया में प्रसारित हुआ है। ऐसा क्या है इस वीडियो में जो  द गार्डियन जैसे मीडिया ब्रांड एक भारतीय के वीडियो को इतनी तरजीह दे रहे हैं। जी हां इस विडियो में फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर की तरह बताया गया है कि भारत में कितनी गरीबी, भूखमरी, लालच और भ्रष्टाचार है। ऐसा मसाला पश्चिम मीडिया को जब जब जहां जहां से मिला है उसने उसे नमक मिर्च लगाकर परोसा है।

भारत के बारे में पश्चिम मीडिया का नजरिया कुछ हद तक नकारात्क हो चुका है ऐसा भी कहा जा सकता है कि नकारात्मक ही रहा है। पश्चिम मीडिया के किसी भी बड़े अख़बार, वेबसाइट में भारत के लिए एक कॉलम जरूर मिलेगा। यह खुशी की बात हो सकती है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत अपनी पहचान रखता है। लेकिन भारतीयों के लिए यह दुख की बात है कि इस देश के प्रति पश्चिम मीडिया का नजरिया नकारात्मक है। पश्चिम मीडिया लगातार भारत की उन खबरों को लिखता और दिखाता रहा है जिससे भारत एक गरीब, अशिक्षित और असहिष्णु देश लगे।

बीबीसी ने भारत विरोधी एजेंडे के तहत इंडियाज डॉटर नामक एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी और प्रसारित की थी। यह दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप कांड पर आधारित थी और इसमें निर्भया का गैंगरेप करने वाले बलात्कारी का इंटरव्यू था। बीबीसी ने भारत के विरोध और एतराज़ के बावजूद ये डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की थी।

पिछले साल नवंबर में भी पश्चिमी मीडिया का भारत विरोधी एजेंडा देखने को मिला था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के दौरे पर थे। लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के साझा बयान के बाद दो ब्रिटिश संस्थानों बीबीसी और द गार्डियन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेबुनियाद और आधारहीन सवाल पूछे थे। बीबीसी ने प्रधानमंत्री मोदी से पूछा था कि भारत काफी तेज़ी से एक असहनशील देश बनता जा रहा है, इसकी वजह क्या है?

ऐसा हर बार होता है जब भी पश्चिमी मडिया भारत के बारे में लिखता या फिल्म बनाता है। डेनी बायल ने सल्म डॉग मिलेनयर के जरिये यह साबित करने की कोशिश की थी कि भारत बहुत गरीब देश है और यहां पर सिर्फ लोग झुग्गी झोंपड़ियों में ही रहते है और बायल का भारत के लिए यह विचार आस्कर तक पा गया था। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत के प्रति पश्चिम देशों की क्या राय है।

भारत में गरीबी, अशिक्षित और असहिष्णुता हो सकती है लेकिन यह उस स्तर पर नहीं है जैसा कि बताया और जताया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहां अलग अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं।जिस तरह के नस्लभेद के किस्से और घटनाएं आस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप में मुस्लमानों के प्रति देखने को मिलते हैं। वैसी घटनाएं भारत में देखने को नहीं मिलती हालांकि भारत में हर घर्म के लोग रहते हैं।

किसी भी देश को देखने और जानने के लिए यह जरूरी है कि उस देश को उसकी नजर से देखा जाए और परखा जाए। लेकिन पश्चिम मीडिया ऐसा करने में असमर्थ नजर आता रहा है। पश्चिम मीडिया अपने चश्मे से भारत को देखता और परखता है और इस चश्मे पर पहले से ही नकारात्मकता के लेंस लगे हुए हैं। भारत को बताने के लिए कॉलम, कार्टून , साउंड बाइट और फिल्म काफी नहीं बल्कि एकता में अनेकता की जरूरत है।

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