अजय विद्युत
रिलायंस जियो कितना कारगर होता है इसकी असली परीक्षा पांच सितम्बर से होगी। कंपनी के चेयरमैन ने दुनिया के सबसे सस्ते डाटा और मुफ्त कॉल देने की बात कर न सिर्फ लोगों को बल्कि बाकी सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया आदि को भी अचरज में डाल दिया है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बाकी ऑपरेटरों के नेटवर्क पर अभी रिलायंस जियो की अस्सी प्रतिशत कॉलें नहीं लग पा रही हैं। हालांकि अभी तक लोग टेस्टिंग के आधार पर ही जियो की फ्री ट्रायल सेवाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन कॉल के मामले में उनके अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। कॉल करने पर ज्यादातर यही सुनाई देता है, ‘इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं।’ 4जी वीओएलटीई की कॉलों को टूजी नेटवर्क वाले दूसरे आॅपरेटरों के नंबर पर भेजने में व्यवधान पड़ रहा है। और इसकी आवृत्ति बहुत अधिक है।
सूत्रों के अनुसार गुरुवार की सालाना आम बैठक से पहले बुधवार को रिलायंस के बड़े अधिकारियों की बैठक हुई थी जिसमें कहा गया कि लोग कॉल नहीं कर पा रहे हैं। दूसरे आॅपरेटरों को इंटर कनेक्टिविटी देने के लिए राजी करना रिलायंस के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है। रिलायंस जियो के अधिकारियों ने आधिकारिक तौर पर माना कि हमारी कॉलों का सक्सेस रेट बमुश्किल पैंतीस फीसदी है।
समझा जाता है कि विदेशी निवेशक यह अपेक्षा कर रहे थे कि मुकेश अंबानी रिलायंस जियो की सेवाएं व्यावसायिक तौर पर शुरू करने की तारीख को लेकर आज कोई स्पष्ट घोषणा करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिलहाल दिसंबर तक ट्रायल चलेगा। इसके बाद कब से रिलायंस जियो की सेवाएं व्यावसायिक तौर पर शुरू होंगी, इसका खाका साफ नहीं है। इससे यही संदेश जा रहा है कि जियो की सेवाएं सुचारू रूप से शुरू करने में काफी काम किया जाना बाकी है। लेकिन यदि जियो की सेवाएं व्यावसायिक रूप से शुरू करने में दिसम्बर के बाद भी वक्त लगता है, तब शायद रिलायंस जियो पर दबाव बढ़ जाए।