निशा शर्मा।
आज विश्व धरोहर दिवस है, जो याद दिलाता है कि जहां भी हम रह रहे हैं वहां ऐसी विरासत है जिसे हमें संजो के रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी जड़ों से जुड़ी रहें। विश्व धरोहर में ऐसे खास स्थानों जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि को रखा जाता है जो मानवता के लिए अमूल्य हों। भारत के करीब 35 धरोहर स्थल हैं। जिसमें 27 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित हैं, जिन्हे यूनेस्को ने विश्व धरोहर के अंतर्गत रखा है।
भारत में अपनी सांस्कृतिक धरोहर हो या ऐतिहासिक इमारतों की विरासत सबको संजोने में कहीं ना कहीं कोताही बरती जाती रही है। भारतीय पुरातात्विक विभाग (एएसआई ) इन विरासतों की देख रेख करता रहा है।
हालांकि यह भी सच है कि जहां भारतीयों को अपनी परंपरा, अपनी तहजीब अपनी संस्कृति से प्रेम है वहीं वह अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए नीरस नजर आते हैं। आज देश में फिल्म सिनेमा हॉल नित नए खुल रहे हैं। पुराने सिनेमा हॉल का रिनोवेशन हो रहा है लेकिन हमारी ऐतिहासिक इमारतें वहीं की वहीं है। इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा जैसे ही इन इमारतों की देख रेख करने वालों से बात करने की कोशिश की जाए वह अपनी मजबूरियां या वित्तीय सीमाएं गिनवा देते हैं।
दूसरा जिन इमारतों का रिनोवेशन किया भी जाता है तो उसका उसली स्वरुप खत्म ही हो जाता है क्योंकि पैसे के अभाव में उस तरह के कारीगरों को नहीं बुलाया जाता जिस तरह की कारीगरी इन धरोहरों में देखने को मिलती है। मुझे याद है कि मैं हरियाणा के सभी धरोहर स्थलों पर एक कार्यक्रम बना रही थी जिसके लिए मैंने अधिकतर हरियाणा को कवर किया था। मुझे याद है मैं हिसार में गुजरी महल को ढूंढ रही थी लेकिन कोई नहीं बता पा रहा था। किसी ने एक किले को गुजरी महल बताया और ऐसा बताने वाला पुरातत्व विभाग का एक व्यक्ति था। हम शूट खत्म ही करने वाले थे कि पुरात्तव विभाग के दूसरे शख्स ने आकर कहा कि यह गुजरी महल नहीं है। गुजरी महल तो सड़क पार है। पूरी मेहनत खराब हो चुकी थी। लेकिन फिर से शूट किया जब हमने गुजरी का महल शूट किया तो वहां फैली गंदगी को बयां करना मुश्किल है। आसपास की जगहों में गैरकानूनी कंस्ट्रक्शन चल रहा था। जैसा कि किसी भी ऐतिहासिक इमारत के आसपास नहीं किया जा सकता।
यही नहीं एक इमारत के बारे में जानना चाहा कि इतने साल पहले इस तरह से नक्काशी या इमारतें होती थी तो एक पुरात्तव विभाग के निचले तबके के एक शख्स ने बताया कि नहीं यह उस समय का नहीं है यह तो दोबारा से बनाया गया है, वैसा तो नहीं है लेकिन मिलता जुलता कहा जा सकता है।
एक किले (फिरोज शाह पैलेस) को शूट करने पहुंचे तो उससे पहले एक कूड़े के पहाड़ को पार करना था। पार किया तो पाया वहां गाय, घोड़े बंधे हैं बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं। उस किले के बारे में कोई बताने वाला नहीं था लोगों से पूछा तो उन्होंने कहा खंडहर हैं इनका क्या बताएं।
यह हमारी व्यवहारिकता और सतर्कता है उस विरासत के लिए जो हमें अपने इतिहास से जोड़ती है। इन विरासतों को संजोने में जितनी जवाबदेही हमारी है उतनी भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण, राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों एवं संस्थाओं की भी है।
केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें ऐतिहासिक इमारतों और संस्कृति के नाम पर ढोल जरुर पीटती नजर आती हैं लेकिन पैसा खर्च करने की बात आए तो इनके पास कभी पर्याप्त धन नहीं होता, और ऐसे कामों के लिए तो कतई नहीं होता जिनका स्थायी महत्व हो और जिनके दूरगामी परिणाम निकलें।
भारत में करीब 3650 से ज्यादा प्राचीन स्मारक हैं जिसमें से 35 को विश्व धरोहर में जगह मिली है। लेकिन जिन्हें जगह नहीं मिली है वह भी भारतीय संस्कृति के लिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने की यह पैंतीस। हालही में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उड़ीसा के लिंग राज मंदिर के दर्शन के लिए गए थे। देखकर हैरानी होती है कि वहां के लोगों ने शिकायत की थी कि करीब 1400 साल पुराने इस मंदिर की सफाई पिछले काफी समय से नहीं हुई थी। वहां के लोगों का कहना था कि इतने पुराने मंदिर की सुध-बुध कोई नहीं लेता। यह सफाई तो प्रधानमंत्री को दिखाने के लिए की गई है। लिंगराज मंदिर उन 12 लिंगो में प्रमुख माना जाता है जो देश में अलग अलग जगह हैं। यह बेहद कड़वी सच्चाई है कि हमारे विभाग, हमारी सरकारें अपनी धरोहर को लेकर सुस्त नजर आती हैं।
विश्व धरोहर में भारतीय धरोहर-
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आगरा किला
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अजंता गुफाएं
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एलोरा गुफाएं
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ताज महल
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महाबलीपुरम में स्मारक समूह
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सूर्य मंदिर, कोणार्क
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काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान
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केओलादेओ नेशनल पार्क
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मानस वन्यजीव अभयारण्य
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गोवा के चर्च और कन्वेंट
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फतेहपुर सीकरी
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हम्पी में स्मारकों का समूह
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खजुराहो स्मारकों का समूह
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एलिफेंटा गुफाएं
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ग्रेट लिविंग चोल मंदिर 12
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पट्टादकल में स्मारकों का समूह
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सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान
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नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
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सांची में बौद्ध स्मारक
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हुमायूं का मकबरा, दिल्ली
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कुतुब मीनार और इसके स्मारक, दिल्ली
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भारत के पर्वतीय रेलवे
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बोध गया में महाबोधि मंदिर परिसर
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भंबेटका के रॉक आश्रय
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चंपानेर-पावागढ़ पुरातात्विक पार्क
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छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनल)
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लाल किला परिसर
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जंतर मंतर, जयपुर
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पश्चिमी घाट
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राजस्थान के हिल किला
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ग्रेट हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान संरक्षण क्षेत्र
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पटना, गुजरात में रानी-के-वाव (क्वीन स्टेपवेल)
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नालंदा, बिहार में नालंदा महावीर (नालंदा विश्वविद्यालय) के पुरातात्विक स्थल
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काजीरंगा राष्ट्रीय अभ्यारण्य, असम
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ले कोर्बुसीयर के वास्तुकला का काम (आधुनिक विकास के लिए बकाया योगदान)*