विषम परिस्थितियों से लड़ना सिखाता है योग

नई दिल्ली। अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है- योग कर रहा हूं। इस वाक्‍य से ऐसा लगता है जैसे योग कोई विशेष क्रिया हो, जिसे किया जा रहा है। गणित की भाषा में योग को जोड़ कहा जाता है। जोड़ का मतलब है जुड़ना। गीता में कहा गया है – समत्‍वं योगं उच्‍चते। मतलब समत्‍व से जुड़ना ही योग है।

अर्जुन को जिस परिस्थिति में गीता का उपदेश दिया गया था उस समय वह विषाद अर्थात दुख में थे। उस स्थिति को विषाद योग कहा गया है। दुख से हमें कष्‍ट होता है जो हमारी ऊर्जा को नष्‍ट करता है। इससे छुटकारा कैसे मिले। यह बड़ी समस्‍या है। इसी का समाधान गीता में दिया गया है समत्‍व। समत्‍व का मतलब है समान भाव। यह समान भाव आसानी से नहीं आता। इस भाव को पैदा करने के लिए ही योग की तमाम विधियां प्रचलित हैं। कुछ अभ्‍यासों के जरिये मन की चंचलता दूर होती है और मन स्थिर हो जाता है। मन की स्थिरता से प्रसन्‍नता आती है। योग के जरिये जब हम प्रसन्‍न होते हैं तो हमारी इच्‍छाएं भी पूरी होने लगती हैं। इस प्रकार योग हमारी मन:स्थिति को ठीक कर हमें विषम परिस्थितियों से बाहर लाता है। दरअसल, योग मानव के आंतरिक  इंजीनियरिंग का जरिया है।

दूसरा अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस देश भर में जोश के साथ मनाया गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ के कैपिटल कॉम्प्लेक्स में करीब 32 हजार लोगों के साथ योग किया। इस मौके पर पीएम ने योग से होने वाले लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि शून्य बजट में कोई स्वास्थ्य बीमा नहीं मिलता है, लेकिन योग शून्य बजट में स्वास्थ्य का आश्वासन देता है। भारत जैसे विकासशील देश अगर निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान दें तो हम बहुत बचत कर सकते हैं। निवारक देखभाल के तरीकों में योग सबसे किफायती एवं सुगम है। इसलिए योग को हमारी जिंदगी का हिस्सा बनाना जरूरी है।

उन्होंने कहा-“योग आस्तिक के लिए भी है, नास्तिक के लिए भी। योग धार्मिक गतिविधि नहीं है।” इसे लेकर विवाद नहीं होना चाहिए। योग शून्य बजट में स्वास्थ्य बीमा भी देता है और अरबों-खरबों का कारोबार भी पैदा कर देता है। योग पाने का मार्ग नहीं है, मुक्ति का मार्ग है। छोड़ने और देने का मार्ग है। आज का मध्यमवर्ग योग के प्रति जमकर  आकर्षित हुआ है। इसलिए आसनों के विज्ञापन को साल भर चलाना चाहिए,  जो बेहतर तरीके से बनाए गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर इस खास दिन पर दिए जाने वाले दो योग पुरस्कारों की घोषणा की। इसमें एक राष्ट्रीय एवं दूसरा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। उन्होंने कहा, मैं आज सरकार की ओर से दो पुरस्कारों का ऐलान कर रहा हूं। इसमें से एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए जबकि दूसरा राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने के लिए दिया जाएगा। इन पुरस्कारों को अंतरराष्ट्रीय योग पुरस्कार और राष्ट्रीय योग पुरस्कार के नाम से जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि इनसे संबंधित नियम-कायदे बनाने एवं ज्यूरी का निर्णय लेने के लिए एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा।

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