अरविंद शुक्ला ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जुलाई को गोरखपुर आए और बहुप्रतीक्षित खाद कारखाना और एम्स का शिलान्यास करने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में चुनावी अभियान की शुरुआत भी कर गए। लोगों पर प्रधानमंत्री के भाषण का प्रभाव भी दिखा पर कुछ सवालों के जवाब नहीं मिले। पहले यह उम्मीद थी कि यहां से मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के चेहरे के बारे में कोई संकेत देंगे पर ऐसा हुआ नहीं। केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों कलराज मिश्र, जेपी नड्डा और पीयूष गोयल के साथ गोरखपुर के स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ को उन्होंने महत्व तो खूब दिया पर सीएम चेहरे के बाबत चुप्पी साधे रखी। इससे यहां इस बात के कयास भी लगे कि संगठन और सरकार में प्रभावी योगी विरोधी नेताओं की रणनीति फिलहाल काम कर गई। इनमें से कई नेता मोदी की रैली में मंच पर भी मौजूद थे।
यहां चुनावी बिगुल फूंकने पहुंचे मोदी ने एक यात्रा से कई निशाने साधे। साधु संतों से मुलाकात कर हिंदुत्व की विचारधारा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने की कोशिश की तो खाद कारखाना और एम्स की मांग को मानकर योगी का महत्व भी जनता को जताया। गौरतलब है कि जिस खाद कारखाने का शिलान्यास करने प्रधानमंत्री गोरखपुर पहुंचे थे वह 25 साल से बंद था और पिछले कई चुनावों से यह बड़ा मुद्दा था। लोकसभा चुनाव से पहले की रैली में नरेंद्र मोदी ने इसे शुरू करवाने का वादा भी किया था। साथ ही कहा था कि इस क्षेत्र को इंसेफेलाइटिस से मुक्ति दिलाने के लिए ठोस कदम उठाएंगे। एम्स के शिलान्यास से ये दोनों वादे पूरे हुए। पूर्वी उत्तर प्रदेश में एम्स के लिए पहले प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का नाम चल रहा था पर काफी खींचतान के बाद यह गोरखपुर को मिला। भाजपा नेता इसे प्रधानमंत्री की उदार दृष्टि का परिचायक बता रहे हैं। कह रहे हैं कि केंद्र सरकार ने जो कहा वो किया।
अपने तीन घंटे की गोरखपुर यात्रा में प्रधानमंत्री सबसे पहले महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण करने के लिए योगी आदित्यनाथ के साथ गोरखनाथ मंदिर पहुंचे और वहां पूजा अर्चना की। महंत अवैद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण करने के बाद वे साधु संतों से मिले और ‘राष्ट्र संत अवैद्यनाथ’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक के अलग-अलग अध्याय को अलग-अलग लोगों ने लिखा है। पुस्तक में उनके बचपन से लेकर समाधि तक का जिक्र किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान संतों को संबोधित करते हुए कहा, ‘नाथ पंथ की परंपरा महान है और आदित्यनाथ इसके मणि हैं। महन्त अवैद्यनाथ से अपने मधुर रिश्तों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनका संबंध उनसे तब से था जब मैं राजनीति में नहीं था। इस पीठ का योगदान आजादी की लड़ाई के साथ ही सामाजिक समरसता के क्षेत्र में कार्य करने का रहा है। योगी आदित्यनाथ महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवैद्यनाथ की इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। संत कभी गरीब को भूखा नहीं रख सकता है। उसके पास जो भी गया कभी खाली वापस लौट के नहीं आता है। संत झोपड़ी में बैठता है पर भक्त उसके पास जाता है तो संत उनसे पूछता है कि प्रसाद लिया या नहीं।’
मोदी ने फर्टिलाइजर ग्राउंड पर भारी भीड़ को संबोधन की शुरुआत भोजपुरी से की। उन्होंने दावा किया कि इन परियोजनाओं से यहां 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। 112 एकड़ में बनने वाले एम्स की लागत 1011 करोड़ रुपये आएगी। इस अस्पताल की क्षमता 750 बिस्तरों की होगी। यह 45 महीने में बनकर तैयार हो जाएगा। खाद कारखाना शुरू करने की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड, एनटीपीसी और कोल इंडिया को दी गई है। इस पर 6000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद 12.7 लाख टन यूरिया का उत्पादन होगा। यह प्लांट गैस आधारित होगा।
एक खास बात यह भी हुई कि रैली के अगले ही दिन योगी आदित्यनाथ का एक बयान मीडिया में आया कि वह मुख्यमंत्री पद की रेस में नहीं हैं। वह योगी हैं और योगी ही रहेंगे। हालांकि इससे उनके विरोधी नेता संतुष्ट नहीं हैं। भाजपा के बड़े नेताओं को योगी के विरोधी उन्हें आगे करने से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में समझाने में जुटे हैं। रैली के दौरान प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्रियों और वक्ताओं ने योगी का नाम लिया पर देवरिया से सांसद और केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा ने उनका नाम नहीं लिया। इस पर भी चर्चा का दौर है कि कहीं ऐसा सीएम चेहरे की रेस की वजह से तो नहीं हुआ।
भाजपा से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह से मिली संजीवनी और मोदी की गोरखपुर में हुई रैली को उत्तर प्रदेश भाजपा अपनी ताकत में कितना तब्दील करती है यह तो समय ही बताएगा।